भोपाल: मध्य प्रदेश में किसानों की हड़ताल के दूसरे दिन मालवा-निमांड अंचल में न सिर्फ दूध और सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई, बल्कि उनकी कीमतें भी बढ़ गईं. हालात इतने बिगड़ गए कि कई स्थानों पर दूध औऱ सब्जियों के बिक्री स्थल पर पुलिस की तैनाती करनी पड़ी.
धार के सरदारपुर कस्बे में आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि झड़प में कई लोग घायल हो गए. आपको बता दें कि एमपी के किसान कर्ज माफी, फसलों के उचित दाम सहित कई अन्य मांगों को लेकर गुरुवार से हड़ताल पर हैं. 10 दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार से ही हालात बिगड़ने लगे. बाजारों तक सब्जी और घरों तक पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पहुंच पाया, जिसके कारण कई जिलों में लोगों को दूध के लिए परेशान होना पड़ा.
सरदारपुर में मारपीट, आगजनी और तोड़फोड़
उपज का सही मूल्य नहीं मिलने के खिलाफ पश्चिमी मध्यप्रदेश में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन आज धार जिले के सरदारपुर में मारपीट, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं जबकि पश्चिमी मध्यप्रदेश में अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई वहीं प्रदेश के अन्य भागों में इसका मामूली असर पड़ा. किसान खेती का वाजिब दाम न मिलने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
वहीं, इंदौर से मिली रिपोर्ट के अनुसार इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, आगरमालवा और धार सहित पश्चिमी मध्यप्रदेश में किसानों के आंदोलन के कारण आज अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई. कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रशासन के साये में दूध और सब्जियों की बिक्री करायी गयी. हालांकि, मध्यप्रदेश के अन्य भागों में इसका मामूली असर पड़ा. इस बीच, मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपने आंदोलन को खत्म कर दें.
आंदोलनकारी किसानों और दुकानदारों के बीच झड़प
धार जिले के पुलिस अधीक्षक बीरेन्द्र सिंह ने बताया कि आज सुबह धार जिले के सरदारपुर में आंदोलनकारी किसानों और दुकानदारों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कुछ लोग घायल हो गये और छह मोटरसाइकिल जलाने के साथ-साथ दो दुकानों में तोड़फोड़ की गई. सिंह ने कहा कि स्थिति को देखते हुए सरदारपुर में पुलिसबल तैनात कर दिया गया है. हालांकि, अब स्थिति नियंत्रण में है. बाद में प्रदर्शनकारी किसानों ने सरदारपुर पुलिस थाने का घेराव भी किया.
सिंह ने बताया कि आज सुबह आठ और साढ़े आठ बजे के बीच आंदोलनकारी किसान झुंड बनाकर सरदारपुर में दुकानें बंद करने पहुंचे, जिसका दुकानदारों ने विरोध किया. इसी बीच दुकान बंद करवाने को ले कर दुकानदारों और आंदोलनकारी किसानों में विवाद हो गया, जो मारपीट भी बदल गया. उन्होंने कहा, ‘‘इस हिंसक झड़प में किसानों की छह मोटरसाइकिल जला दी गईं तथा दो दुकानों में तोडफोड़ की गई. इस झड़प में कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं.’’
कर्ज के तले दबे हुए हैं किसान
मध्यप्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. जितना पैसा वे अपनी फसल उगाने में लगा रहे हैं, उतना उन्हें उसे बेचने में नहीं मिल रहा है. इससे किसान की हालत बहुत खराब हो गई है और वे कर्ज के तले दबे हुए हैं.
सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन सरकार किसानों के गेहूं को इस कीमत पर नहीं खरीद रही है, जिसके कारण उन्हें अपने उत्पाद को 1200 रुपये से 1300 रुपये प्रति क्विंटल मजबूरी में बाजार में बेचना पड़ रहा है. इससे ज्यादा कीमत पर कोई भी किसान से गेहूं खरीदने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि यही हाल किसान के द्वारा पैदा की गई अन्य उत्पादों की है. प्याज एवं संतरे तो बहुत ही कम दाम मिलने के कारण किसानों को फेंकने पड़ रहे है.
एमपी में किसानों की हड़ताल से आमजन बेहाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हड़ताल से दूध की आपूर्ति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, लेकिन सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ गई हैं. मालवा-निमांड अंचल के धार, इंदौर, खंडवा, उज्जैन, शाजापुर, खरगोन, आगर-मालवा, मंदसौर, झाबुआ आदि में किसान दूसरे दिन भी सड़कों पर उतरे. धार के सरदारपुर में किसान और व्यापारियों के बीच तीखी झड़प हो गई, जिस दौरान छह दोपहिया वाहनों में आग लगा दी गई, जबकि मारपीट में कई लोग घायल हुए.
मंदसौर में किसानों ने दूध को सड़कों पर बहाया, वहीं सब्जी को मंडी तक नहीं पहुंचने दिया. ऐसा ही नजारा खंडवा में भी देखने को मिला. इंदौर की मंडियों में सब्जी कम मात्रा में पहुंचीं. किसानों ने विरोध में आगरा-मालवा की सड़कों पर दूध बहाया और सब्जियों को शहर तक नहीं जाने दिया. उज्जैन की मंडी और इंदौर में दूध की दुकानों पर पुलिस तैनात करना पड़ा.
सुबह से ही पुलिस बल की तैनाती
इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया, "आम लोगों को परेशानी न हो इसके लिए मंडी में देर रात तक और सुबह से ही पुलिस बल की तैनाती की गई है. इसके अलावा, दूध की दुकानों पर किसी तरह की अव्यवस्था न फैले, इसके लिए भी पुलिस के जवान मदद कर रहे हैं."
हड़ताल के दूसरे दिन ही सब्जियों के दाम दोगुने हो गए, क्योंकि गांवों से मंडियों तक सब्जियां पहुंच नहीं पाईं. इसके अलावा दूध की भी किल्लत हो गई है. इसके बावजूद, किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार की ओर से किसी तरह की पहल नहीं की गई है. सरकार के मंत्री इस आंदोलन को मुट्ठी भर लोगों का आंदोलन बताने पर तुले हैं.
वहीं, विरोधी दल कांग्रेस ने किसानों के खिलाफ की जा रही दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए किसानों की मांग मानने की अपील की है. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि सरकार को किसानों के नाम पर कृषि महोत्सव, ग्रामोदय अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च करने की बजाय उनका हक दिलाने की पहल करनी चाहिए.