नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस के छह मंत्रियों को पद से हटा दिया गया है. ये सभी छह मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के हैं. राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की सलाह पर ये फैसला लिया. जिन छह मंत्रियों को हटाया गया है उनमें इमरती देवी, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर और डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं. बता दें कि हाल ही सिंधिया खेमे के विधायकों ने वीडियो जारी किया था और कहा था कि वे किसी भी हालात में सिंधिया के साथ है. उन्होंने कमलनाथ की सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी सुनी नहीं जा रही थी.
अभी मध्य प्रदेश सरकार की स्थिति क्या है?
22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. फिलहाल इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है. राज्यपाल ने सिर्फ छह मंत्रियों को उनके पद से हटा दिया है. इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों में ही ये छह मंत्री भी शामिल थे. अगर सभी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो मध्य प्रदेश की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. इस्तीफा स्वीकर करने से पहले विधानसभा स्पीकर विधायकों से बात करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे.
शक्ति परीक्षण के लिए कमलनाथ तैयार
इससे पहले आज शुक्रवार को कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को सूबे की मौजूदा सियासी हालात से अवगत कराया. इस मुलाकात के बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि वे फ्लोर टेस्ट (शक्ति परीक्षण) के लिए तैयार हैं. कलमनाथ ने राज्यपाल को एक चिट्ठी भी सौंपी. कमलनाथ ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उनके खेमे के विधायकों का कहना है कि वे महाराज के साथ हैं. अब सबकी नरजें 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र पर टिकी हैं. कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र शुरू होने के साथ ही बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और कमलनाथ सरकार को गिराने का प्रयास करेगी. वहीं कांग्रेस दावा कर रही है कि उनकी सरकार को कुछ नहीं होगा.