नई दिल्ली: सियासत में कभी-कभी आपका दांव आप पर ही उल्टा पड़ जाता है. कई बार बेहतर से बेहतर रणनीति होने के बाद भी आपको बैकफुट पर जाना पड़ता है. ऐसा ही हुआ है मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के साथ. बीजेपी को सूबे की कमलनाथ सरकार ने तगड़ा झटका दिया है. बीजेपी के दो विधायकों ने सदन में कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग किया.


दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी के निशाने पर अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार है. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के गिरने के बाद मध्यप्रदेश में भी सियासी हलचल तेज़ हो गई थी. बुधवार को सदन में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि अगर ऊपर से आदेश मिल जाए तो एक दिन के अंदर ही सरकार को गिराया जा सकता है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार में काफी आंतरिक मतभेद हैं और ऐसे में अगर सरकार गिरती है तो इसके लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार होगी.


नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बयान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार करते हुए बीजेपी को चुनौती दे दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी सदन में उनके और पार्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. बीजेपी को चुनौती देने के पीछे कमलनाथ की प्लानिंग थी. वह पहले से तैयार थे. काग्रेंस ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी कि वह बीजेपी के विधायकों को तोड़ेगी और यही वजह है कि सदन में आपराधिक क़ानून संशोधन विधेयक पर वोटिंग कराई गई.


हुआ यह कि राज्य की विधानसभा में कमलनाथ सरकार द्वारा पेश इस बिल पर मत विभाजन के दौरान बीजेपी के दो विधायकों ने न सिर्फ सरकार का साथ दिया, बल्कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के स्पष्ट संकेत भी दिए. बीजेपी इस बिल के विरोध में थी.


इस बिल को लेकर सदन में किए गए मतदान की बात करें तो कुल सदस्यों की सदन में संख्या 229 (एक खाली) है. बहुमत के लिए 115 वोट चाहिए थे. सरकार के पक्ष में 122 वोट पड़े. इसमें स्पीकर समेत कांग्रेस के कुल 114 विधायक, चार निर्दलीय विधायक, दो बसपा के विधायक, एक सपा और दो बीजेपी से विधेयकों ने वोट किया.


कमलनाथ ने ली चुटकी


बीजेपी के दो विधायकों का कांग्रेस के पक्ष में वोट करने के बाद एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक बार फिर चुटकी ली. उन्होंने कहा, '' भारतीय जनता पार्टी पिछले छह महीने से कहती रही है कि यह अल्पमत की सरकार है. आज सुबह भी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमें इशारा मिल जाए तो फ़ौरन सरकार चली जाएगी. मैंने उन्हें आमंत्रित किया, अविश्वास प्रस्ताव आज ही हो जाए. उन्होंने स्वीकार नहीं किया."


मुख्यमंत्री ने आगे कहा,''एक बार सिद्ध करना था ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाए. आज जो यह मतदान हुआ है यह केवल एक विधेयक पर नहीं है. यह मतदान बहुमत सिद्ध करने का मतदान है. और इस मतदान में भारतीय जनता पार्टी के दो सदस्यों ने काग्रेंस का साथ दिया है." इस घटना से ऐसा लग रहा है जैसे कर्नाटक का दांव मध्य प्रदेश में खेलने से पहले बीजेपी का झटका लग गया.


क्या है राज्य का राजनीतिक गणित


मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें से काग्रेंस के पास 114 विधायक हैं. वही सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उसका आकड़ा 121 पर पहुंचता है. लेकिन दो और विधायकों के शामिल हो जाते हैं तो अब वह बेहतर स्थिती में नज़र आ रही है. बीजेपी के पास 108 विधायक हैं.


कर्नाटक में गिरी कांग्रेस जेडीएस की सरकार


कर्नाटक में हाल के घटनाक्रम में बीजेपी ने 'ऑपरेशन लोटस' के तहस कांग्रेश और बीजेपी की सरकार गिरा दी. कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन की सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने में विफल रहने के बाद गिर गयी. इसी के साथ राज्य में 14 महीने से अस्थिरता के दौर का सामना कर रहे मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी का कार्यकाल खत्म हो गया. कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव हारने के तुरंत बाद राज्यपाल वजूभाई वाला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. अधिकारियों ने बताया कि परिणाम के तुरंत बाद कुमारस्वामी, उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और अन्य वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राजभवन गए और इस्तीफा सौंप दिया.