भोपाल: मध्यप्रदेश की राजनीति में चल रहे सियासी उथल-पुथल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थक 27 विधायकों के मोबाइल फोन अचानक बंद होने के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार रात को अचानक कैबिनेट की बैठक बुलाई गई. पार्टी सूत्रों के अनुसार यह बैठक मुख्यमंत्री निवास पर सोमवार रात 10 बजे शुरू हुई. उम्मीद जताई जा रही है कि कमलनाथ इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं. सामूहिक तौर पर इस्तीफ़े पर भी विचार हो सकता है.
बैठक बुलाने से ठीक पहले कमलनाथ ने मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और अपने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ भी एक आकस्मिक बैठक की. यह बैठक करीब दो घंटे चली. इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक बुलाई. हालांकि, इस बैठक में किन-किन मुद्दों पर चर्चा हुई, अब तक इसका पता नहीं चल पाया है.
मुख्यमंत्री ने यह बैठक मध्यप्रदेश के हालिया राजनीति घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सोमवार दोपहर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर भोपाल लौटने के तुरंत बाद की. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर सोमवार देर शाम भोपाल आये.
मध्यप्रदेश कांग्रेस के विभिन्न गुटों में चल रही कथित अंदरूनी लड़ाई और कमलनाथ नीत प्रदेश सरकार को कथित रूप से बीजेपी की तरफ से अस्थिर करने के आरोपों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके समर्थक छह मंत्रियों सहित 27 विधायकों के मोबाइल फोन सोमवार शाम अचानक बंद हो गये. अनुमान लगाया जा रहा है कि सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने के लिहाज से ऐसा किया गया है.
हालांकि, इस बारे में सिंधिया से मोबाइल फोन पर बार-बार संपर्क करने के प्रयास किये गये, लेकिन सफलता नहीं मिली. कमलनाथ के दिल्ली से लौटने से पहले ही सिंधिया और उनके समर्थक छह मंत्रियों सहित 27 विधायकों के मोबाइल फोन बंद हो गए. माना जा रहा है कि अपनी सरकार पर चल रहे इसी संकट के मद्देनजर कमलनाथ ने यह बैठक बुलाई होगी.
सिंधिया समर्थित जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं. इनके अलावा, सिंधिया समर्थक 21 विधायकों से भी मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा है.
वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस मामले में कुछ भी गंभीर नहीं है.’’ इन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की सियासत में पिछले एक सप्ताह से चल रही उठापटक में अब भूचाल आ गया है.
सोनिया से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने दिल्ली में सोमवार दोपहर को कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा हुई. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर कोई नाम तय हुए हैं तो मुख्यमंत्री ने कहा कि उम्मीदवारों पर फैसला सर्वसम्मति से होगा.
सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट तक चली सोनिया और कमलनाथ की मुलाकात के दौरान राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के संदर्भ में मुख्य रूप से चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने सोनिया को राज्य के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से भी अवगत कराया. दरअसल, हाल ही में कांग्रेस ने बीजेपी पर अपने कुछ विधायकों को अगवा करने और सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था. बीजेपी ने इस आरोप को खारिज किया था.
मध्यप्रदेश से तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. विधानसभा के मौजूदा गणित को देखते हुए कांग्रेस को दो सीटें मिलने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एक सीट से दिग्विजय और दूसरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है . हालांकि चर्चा यह भी है कि इन दोनों में से किसी एक नेता को छत्तीसगढ़ और किसी दूसरे राज्य से भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
मालूम हो कि मंगलवार को मध्यप्रदेश के 10 विधायक गायब हो गये थे, जिनमें दो बीएसपी, एक एसपी, एक निर्दलीय और बाकी कांग्रेस के विधायक थे. इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि बीजेपी नेता इन विधायकों को हरियाणा के एक होटल में ले गये हैं और कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये का ऑफर दे रहे हैं.
हालांकि, बीजेपी ने इस आरोप को खारिज कर दिया और दावा किया कि 26 मार्च को मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के मद्देनजर यह कांग्रेस के विभिन्न गुटों के बीच चल रही अंदरूनी लड़ाई का नतीजा है.
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं. इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 बीजेपी, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं. कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बीएसपी और एसपी का समर्थन है. राज्य विधानसभा के विधायक राज्यसभा चुनाव में मतदान कर प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुनते हैं.