नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में तुरंत राज्य सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग करने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था. राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और नौ बीजेपी विधायकों ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने 22 विधायकों के इस्तीफे के चलते बहुमत खो चुकी है लेकिन बहुमत परीक्षण से बचने की कोशिश कर रही है.


16 मार्च को राज्यपाल के आदेश के मुताबिक विधानसभा में कमलनाथ सरकार का बहुमत परीक्षण होना था. लेकिन ऐसा करने की जगह विधानसभा के सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान और नौ बीजेपी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी.


मंगलवार को यह मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की बेंच में सुनवाई के लिए लगा. सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “दूसरे पक्ष से कोई यहां मौजूद नहीं है. ऐसे में हमें उन्हें नोटिस जारी करना होगा.''


इस पर बीजेपी नेताओं के लिए पेश वरिष्ठ वकील और पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, “ऐसा जानबूझकर किया गया है. वह चाहते हैं कि कोर्ट नोटिस जारी करे और उन्हें एक दिन और मिल जाए'' इस पर जजों का कहना था, “दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. नोटिस जारी करना किसी भी मामले में एक सामान्य प्रक्रिया है और वह ऐसा करने जा रहे हैं.'' इसके बाद कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर दिया.


वहीं कांग्रेस ने भी अर्जी दाखिल कर कहा है कि मध्य प्रदेश के 15 विधायकों को जबरन कर्नाटक में रखा गया हैसभी विधायकों की मौजूदगी के बिना फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता. अगर 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है तो पहले उनकी सीट पर दोबारा चुनाव हो.


इसके साथ ही कांग्रेस के बागी विधायकों ने भी बुधवार को एक अर्जी दाखिल कीउनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा, “कुल 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं. इनमें से सिर्फ 6 के इस्तीफे को स्वीकार किया गया है. इससे स्पीकर की दुर्भावना नजर आ रही है. विधायकों ने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया है. लेकिन स्पीकर उसे किसी तरह से लटका कर सरकार की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.’’ सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर भी नोटिस जारी कर दिया. इस मामले पर भी आज सुनवाई होगी.