भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने राज्य के हैल्थ वर्कर्स को जारी किया वह आदेश वापस ले लिया है, जिसमें हैल्थ वर्कर्स को कहा गया था कि वह कम से कम एक व्यक्ति की नसबंदी कराएं और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनको जबरदस्ती वीआरएस दे दिया जाएगा और उनके वेतन में भी कटौती की जाएगी. दरअसल सरकार के इस आदेश के बाद उसकी चौतरफा किरकिरी हो रही थी. नसबंदी के आदेश पर विवाद के बाद कमलनाथ सरकार ने आदेश वापस लेने का फैसला किया.
टारगेट पूरा न करने पर वीआरएस देने की दी थी चेतावनी
हैल्थ वर्कर्स को इस तरह का फरमान जारी के बाद से कमलनाथ सरकार की खूब आलोचना हो रही थी. ये आदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जारी किया था. आदेश में कहा गया था कि जो नसबंदी का टारगेट पूरा न करने पर हैल्थ वर्कर्स को वीआरएस यानी सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा.
कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य
इतना ही नहीं आदेश में हैल्थ वर्क्स को वेतन कटौती करने की भी चेतावनी दी गई थी. मध्यप्रदेश में परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया था. मध्य प्रदेश हैल्थ मिशन की वेबसाईट पर बताया गया है कि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भारत वह पहला देश था, जिसनें इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में साल 1952 में ही अपना लिया था. इसमें लिखा है कि इस कार्यक्रम में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है.
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