भोपाल: मध्य प्रदेश में वैसे तो आज विधानसभा में बहुमत परीक्षण होना था जिसमें यह तय होना था कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत है या नहीं. लेकिन कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते ही विधानसभा में बहुमत साबित करने को लेकर जो वक्त तय किया गया था उसका कोई मतलब नहीं रहा. इसी वजह से जब विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई तो विधानसभा के स्पीकर ने सदन की कार्रवाई को अनिश्चितकालीन वक्त के लिए स्थगित कर दिया.


बहुमत परीक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ी


2 बजे जैसे ही विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई विधानसभा के स्पीकर ने सदन में आकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार विधानसभा की कार्रवाई सुनिश्चित की गई है. इस कार्रवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया था लेकिन अब जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है तो ऐसे में बहुमत परीक्षण की कार्रवाई का कोई मतलब नहीं बचता. लिहाज़ा विधानसभा की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जा रही है.


सदन में बीजेपी के विधायक थे मौजूद लेकिन कांग्रेस के नदारद


विधानसभा स्पीकर ने जैसे ही इस बात का ऐलान किया बीजेपी के वह विधायक जो उस दौरान सदन में मौजूद थे जय हिंद और वंदे मातरम के नारे लगाने लगे. स्पीकर के आदेश से यह साफ हो चुका था कि अब कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो चुकी है और एक बार फिर से बीजेपी के पास सरकार बनाने का मौका आ गया है. हालांकि इस दौरान कमलनाथ सरकार का ना तो कोई मंत्री और ना ही कांग्रेस का कोई विधायक सदन में मौजूद था.


रात से ही लगने लगे थे कमलनाथ के इस्तीफे के कयास


इससे पहले कल देर रात जैसे ही विधान सभा सचिवालय की तरफ से विधानसभा की कार्यसूची जारी की गई और दोपहर 2 बजे बहुमत परीक्षण का वक़्त तय किया गया तो बीजेपी ने अपने विधायकों के साथ रणनीति बनानी शुरू कर दी. हालांकि इस दौरान ये जानकारी भी सामने आ चुकी थी कि कमलनाथ दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं जिसमें वो इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं लेकिन बीजेपी अपने विधायकों को लेकर किसी तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी. इसी वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, विनय सहस्रबुद्धे समेत अन्य नेता लगातार विधायकों के साथ चर्चा में लगे रहे और सुबह होते हैं कि सीहोर के विरोध में पहुंच गए जहां इन विधायकों को रखा गया था.


कमलनाथ को हो गया था अल्पमत में होने का एहसास


हालांकि बीजेपी की राह विधानसभा के स्पीकर के उस फैसले से भी और ज्यादा आसान लगने लगी थी जिसके तहत 16 बागी विधायकों के इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया था. कांग्रेस के बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर होते ही कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 92 हो गई थी जो कि बहुमत से काफी कम थी. वहीं बीजेपी के पास अपने विधायकों की संख्या ही बहुमत से ज्यादा थी. इस बात का एहसास कमलनाथ को भी हो गया था इसी वजह से रात में ही उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी दे दी थी और तभी से यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि कमलनाथ बहुमत परीक्षण में जाने से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं और ऐसा ही हुआ.


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