Maheshwari Saree: महेश्वरी साड़ी उद्योग कोरोना की वजह से झेल रहा आर्थिक मंदी, ठप्प हुआ कामकाज
Maheshwari Saree: हालात यह है कि कई प्रशिक्षित बुनकर खेतों और बिल्डिंग वर्क के काम में मजदूरी करने को विवश हैं तो कुछ बुनकर सब्जी बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं.
Maheshwari Saree: कोरोना काल में सबसे ज्यादा व्यापार प्रभावित हुआ है. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर का महेश्वरी साड़ी उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा. यहां की प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ियां देश सहित विश्व में अपनी पहचान रखती हैं. महेश्वरी साड़ी का उद्योग कोरोना की वजह से आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है. यहां के एक हजार से ज्यादा हैंडलूम बंद हो गए हैं और करीब सात हजार से ज्यादा बुनकर प्रभावित हुए हैं.
हालात यह है कि कई प्रशिक्षित बुनकर खेतों और बिल्डिंग वर्क के काम में मजदूरी करने को विवश हैं तो कुछ बुनकर सब्जी बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं. कोरोना के पहले यहां करीब चार हजार से अधिक हैंडलूम चलते थे. अब महेश्वरी कपड़ों के कई शोरूम बंद हो गए. जो चल रहे हैं, वहां खरीदार नहीं है. बुनकरों के पास माल तैयार है लेकिन मांग नहीं है. कोरोना के कारण लगभग 80 प्रतिशत कामकाज प्रभावित हुआ है.
महेश्वर देवी अहिल्या की पवित्र नगरी पर्यटकों और विदेशी सैलानियों से भरी रहती थी. फिल्मों की शूटिंग का दौर भी चला करता था लेकिन कोरोना की वजह से यहां सैलानियों और विदेशी पर्यटकों का आना-जाना कम हो गया है. बता दें कि 1765 में देवी अहिल्या ने मांडू और गुजरात के कारीगरों को यहां बसाया था. यहां बनी साड़ियां विशेष ढंग की किनारी, सुंदर डिजाइन, महीन और पक्के रंग की वजह से प्रसिद्ध हैं.
लॉकडाउन के बाद काम नहीं
वारिस अंसारी हैंडलूम संचालक बताते हैं, 'मेरे यहां 25 से 30 बुनकर काम करते थे. लॉकडाउन के बाद से अब तक काम नहीं मिल पा रहा था. आज वह बंद हो गए हैं. मैटेरियल का रेट बढ़ गया है. मेरे जरिए हैंडलूम वर्क से बनाई हुई साड़ियां सूट हथकरघा विभाग और वस्त्रालय मंत्रालय के जरिए खरीदी जाती थी. ऑर्डर आना बंद हो गए हैं. पहले हम 100 फीसदी काम करते थे. आज 25 फीसदी काम रह गया है. दैनिक स्थिति बिगड़ चुकी है.'
वसीम अंसारी बताते हैं कि हैंडलूम से हफ्ते भर में 2500 से 3000 हजार का काम कर लिया करते थे. काम नहीं होने के कारण मकान कंस्ट्रक्शन का काम करना पड़ रहा है. 15 से 16 सौ रुपये का काम हो पा रहा है. घर चलाना मुश्किल हो रहा है. मगर काम तो करना पड़ रहा है. हथकरघा सहायक प्रबंधक श्याम रंजन सेन गुप्ता बताते हैं कि 4500 हैंडलूम महेश्वर में है. लॉकडाउन के बाद बहुत सारे हैंडलूम बंद हो गए हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद भी बाजार में उठाव नहीं आ रहा है.
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