UPSC Success Story: आईएएस और आईपीएस बनने का सपना देश के लाखों युवा पालते हैं, लेकिन सफलता चुनिंदा कैंडिडेट्स को ही मिलती है. शायद सबके जेहन में ये सवाल आता होगा कि देश की सबसे कठिन यूपीएससी की परीक्षा में सक्सेस का क्या मंत्र है? किसी सफल उम्मीदवार की एग्जाम की तैयारी से लेकर क्वालीफाई करने तक की स्टोरी सुनकर इस एग्जाम के क्रैक करने की प्रेरणा ली जा सकती है. 


चलिए आपको एक ऐसी ही सफल कैंडिडेट मिनी शुक्ला की कहानी सुनाते हैं. यूपीएससी 2021 का रिजल्ट आ गया है. उसमें मध्य प्रदेश की बेटी मिनी शुक्ला ने भी 96 रैंक हासिल की है. मिनी शुक्ला भिंड की रहने वाली हैं. सबसे खास बात यह है कि मिनी की बड़ी बहन प्रियंका शुक्ला भी आईपीएस हैं और फिलहाल जबलपुर में सीएसपी के पद पर पोस्टेड हैं.


बहन से मिली आगे बढ़ने की प्रेरणा
मिनी कहती हैं कि उन्होंने अपनी बड़ी बहन प्रियंका से ही आईपीएस बनने की प्रेरणा ली है. वैसे उन्होंने इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने के बाद एक जाने-माने अंग्रेजी अखबार में काम शुरू कर दिया था. मिनी को समाज मे महिलाओं की हालत देखकर मलाल होता था और जब उनकी बड़ी बहन प्रियंका आईपीएस बनी थी, तब उन्होंने भी ठान लिया कि वह भी आईपीएस बनकर महिला सुरक्षा के लिए काम करेंगी. यूपीएससी का रिजल्ट आते ही तीसरे अटेम्प्ट में उनका यह सपना पूरा हो गया है. मिनी को 96वें रैंक के साथ आईपीएस में मध्य प्रदेश कैडर मिला है. 


हालांकि मिनी के दादा जी एसएस शुक्ला भी आईपीएस अधिकारी थे और वे मध्य प्रदेश में एडीजी के पद से रिटायर हुए थे. मिनी कहती हैं कि दादा जी को यूनिफार्म में देखकर अलग सी खुशी तो मिलती थी, लेकिन असली प्रेरणा बहन प्रियंका की यूपीएससी के लिए तैयारी और फिर 2019 में सिलेक्शन से मिली.


बताया क्या था सक्सेस मंत्रा
जब एबीपी न्यूज़ ने मिनी से पूछा कि इतनी कठिन परीक्षा को पास करने का सक्सेस मंत्रा क्या है? तो मिन ने बताया कि, "मैंने 2018 से तैयारी शुरू की. दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रेसिडेंशियल कोचिंग प्रोग्राम में एडमिशन लिया. यूपीएससी टॉपर श्रुति शर्मा भी बैचमेट थी. यहां बहुत सारे दोस्त मिल गए. दोस्तों के ग्रुप के बीच तैयारी करते-करते कॉन्फिडेंस आता गया. जब तैयारी शुरू की थी तो रोज 7-8 घंटे पढ़ते थे, लेकिन धीरे-धीरे ज्यादा देर तक पढ़ने का सिलसिला तो कम हो गया, सिर्फ रिवीजन पर ध्यान दिया. अच्छे टीचर और दोस्तों से लगातार डिस्कशन ने सफलता दिला दी. यहां तक कि कोविड की कठिनाई में भी दोस्तों के साथ ऑनलाइन संवाद ने बहुत मदद की".


फेल होने से टूट गई थी उम्मीद
अभी तक की कहानी सुनकर लगता है कि मिनी को बेहद आसानी से सफलता मिल गई, लेकिन ये सही आंकलन नहीं है. मिनी की सफलता में भी बहुत संघर्ष है. मिनी बताती हैं कि, "पहले अटेम्ट में प्रीलिम्स तो क्लीयर कर लिया लेकिन 10 नंबर से मेंस में चूक गई. दूसरे अटेम्ट में तो प्रीलिम्स ही क्लियर नहीं हो पाया. तब बहुत निराशा हुई. लगा कि कहीं दीदी की तरह आईपीएस बनने का सपना टूट न जाये. फिर और जोर लगाकर तीसरा अटेम्प्ट दिया और मेहनत ने संघर्ष को सफलता में बदल दिया". मिनी के पापा पेशे से वकील हैं जबकि मां गृहणी हैं.


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