भोपाल/जबलपुर: मध्य प्रदेश में करीब हफ्ते भर तक चला किसानों का आंदोलन ऊपरी तौर पर थम गया लेकिन अंदर ही अंदर सुलग रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए ऐलान तो किए हैं, लेकिन इसे अमल में लाने की राह मुश्किल है. ऊपर से अब एमपी के व्यापारियों ने शिवराज सिंह चौहान की मुश्किल बढ़ा दी है.

जबलपुर की कृषि मंडी में धरने पर बैठे किसान

शिवराज सिंह के खिलाफ नारेबाजी करने वाले किसान जबलपुर की कृषि मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए पहुंचे थे. शिवराज सिंह ने अपना उपवास खत्म करने के साथ ये एलान किया था कि राज्य में कोई भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर किसानों की उपज नहीं खरीदेगा. इसी एलान के बाद सुबह से ही जबलपुर मंडी में किसानों की भीड़ लग गई लेकिन व्यापारियों ने समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने से मना कर दिया और किसान धरने पर बैठ गए.

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समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने से व्यापारियों का इंकार

अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष मेवालाल छरोलिया का कहना है, ‘’हम लोगों को माल को खरीद कर बेचना होता है, इसमें हम लोगों को कोई लाभ नहीं होता. इसलिए हम सक्षम नहीं हैं.’’ व्यापारियों के इस रवैये से किसान गुस्से में आ गए और उन किसानों के गुस्से को भड़काने के लिए कांग्रेस से जुड़े लोग भी वहां पहुंच गए.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के सचिव सचिन यादव ने कहा, ‘’जो शिवराज सरकार कर रही है वह धोखा कर रही है, अन्नदाताओं को मार रही है, भूखे सवेरे से बैठे हैं, भूखे प्यासे लड़ने आए हैं और समर्थन मूल्य पर आप पैसा नहीं देना चाहते.’’

शिवराज सरकार कर्जमाफी के पक्ष में नहीं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही ये दावा कर रहे हों को उनके 28 घंटे के उपवास ने राज्य में किसानों के आंदोलन की आग को ठंडा कर दिया है, लेकिन ये आग कब तक शांत रहेगी ये कहना मुश्किल है. वो भी तब जब यूपी और महाराष्ट्र में किसानों की कर्जमाफी की घोषणा हो चुकी है. हालांकि बीजेपी का कहना है कि मध्य प्रदेश के हालात दूसरे राज्यों से अलग हैं इसलिए यहां कर्जमाफी की जरूरत नहीं है.

कर्ज का ब्याज खत्म करने पर होगा विचार- प्रभात झा

बीजेपी सांसद प्रभात झा ने कहा, ‘सवाल माफ का नहीं है. वो क्या चाहते हैं उनसे बात होगी. क्या वो चाहते हैं कि ब्याज खत्म हो तो ये भी हो सकता है. ब्याज खत्म हो जाए, किसान कर्ज से दुखी नहीं होता है ब्याज से दुखी होता है.’’

हालांकि राज्य में करीब 10 दिनों तक सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने वाले किसान फसलों की सही कीमत के साथ साथ कर्जमाफी की मांग भी कर रहे थे, लेकिन बीजेपी का दावा है कि राज्य में किसानों पर कर्ज कोई बड़ी समस्या नहीं है.

बीजेपी सांसद प्रभात झा का कहना है, ‘’कर्ज वहां होता है जहां ब्याज देना पड़ता है.  मध्य प्रदेश ने तो पिच दे दी है कि आप एक लाख लीजिए, 10 हजार कम करके 90 हजार दीजिए.’’

शिवराज सिंह चौहान ने अपना उपवास खत्म करने के साथ किसानों के लिए कई घोषणाएं कीं थी-

  • किसानों की फसल कोई भी समर्थन मूल्य से कम कीमत पर नहीं खरीद सकेगा.

  • राज्य में किसान बाजार बनेंगे जिससे किसान सीधे अपनी फसल बेच सकेंगे.

  • एक आयोग का गठन होगा जो लागत के मुताबिक फसल की सही कीमत तय करेगा.


बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का कहना है, ‘’लागत मूल्य कम करके किसानों के उत्पादन को अधिकतम मूल्य देने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार ने 1000 करोड़ का विशेष फंड बनाया है, जिसमें आने वाले समय में किसान को कभी भी उनकी लागत मूल्य से अधिक मूल्य ही मिलेगा, कम नहीं मिलेगा तो एक बहुत बड़ा कवच सरकार ने दिया है.’’

इन वादों के दम पर शिवराज सरकार किसानों के गुस्से कों शांत करने की बात कर रही है, दावा ये भी है कि बाकी के मसले बातचीत से सुलझा लिए जाएंगे, लेकिन जिस तरह देश के बाकी राज्यों में किसान आंदोलन जारी है, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि मध्य प्रदेश में मामला इतनी जल्दी शांत होने वाला है.

जानना जरुरी है-

मध्य प्रदेश में किसानों पर 74 हजार करोड़ कर्ज बकाया है. इस हिसाब से हर किसान परिवार पर 32,100 रुपए का कर्ज है. तो वहीं मध्य प्रदेश सरकार पर 1.11 लाख करोड़ कर्ज है. प्रदेश में हर व्यक्ति पर औसतन 13,853 रुपए का कर्ज है. वहीं किसान की औसत मासिक आय 6,210 रुपए है. प्रदेश में देश के कुल अनाज का 10% उत्पादन होता है. अनाज उत्पादन के लिए मध्य प्रदेश को चार बार कृषि कर्मण सम्मान दिया जा चुका है. राज्य की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का एक तिहाई योगदान है.