नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस छोड़ दी. उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना है. साथ ही, पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है. कांग्रेस सरकार ने मंगलवार शाम को विधायक दल की बैठक में मौजूद अपने 92 विधायकों को एकजुट रखने के लिए किसी अज्ञात स्थान पर एक साथ रखने का निर्णय लिया है. इसके तहत कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर भेजेगी.
प्रदेश कांग्रेस ने एक नेता ने कहा कि सरकार को समर्थन कर रहे हमारे 92 विधायकों एकसाथ रखा जाएगा. इस बीच कांग्रेस ने अपने विधायकों के साथ ही चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है.
गुरुग्राम के ITC ग्रैंड भारत होटल में ठहरे हैं बीजेपी के 106 विधायक
बीजेपी को विधायकों के टूटने का डर है इसलिए देर रात बीजेपी के 106 विधायक भोपाल से प्लेन के जरिए दिल्ली आए. दिल्ली एयरपोर्ट पर बस से विधायकों को गुरुग्राम ले जाया गया. ग्रुरुग्राम में सभी विधायकों को एक होटल में ठहराया गया है. बीजेपी विधायकों के साथ कैलाश विजयवर्गीय भी दिल्ली आए हैं. भोपाल एयरपोर्ट पर विधायकों से मिलने शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे. बीजेपी के 106 विधायक गुरुग्राम के ITC ग्रैंड भारत होटल में ठहरे हैं. कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और बेंगलुरु के रिसॉर्ट में ठहरे हैं. वहीं बीजेपी पूरी प्लानिंग और तैयारी के साथ हर कदम उठा रही है.
क्या है विधानसभा का गणित
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं और इसमें से दो सीट खाली है. अब तक 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया है. ऐसे में अगर विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तो इसकी कुल संख्या 206 हो जाती है. बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी. कांग्रेस के 22 नेताओं के इस्तीफे के बाद इस समय उसके विधायकों की संख्या 93 है. बीजेपी के पास 107 विधायक हैं और सूबे में अन्य दलों के सात विधायक हैं. कमलनाथ को विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है.
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