भोपाल: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने तय किया है कि दर्शन शास्त्र के पहले साल के छात्र अब रामायण का पाठ भी पढ़ेंगें. सरकार ने हाल ही में जो पाठ्यक्रम जारी किया है उसके मुताबिक रामचरित मानस का व्यावहारिक ज्ञान के नाम से एक पूरा पेपर होगा जिसमें छात्रों को रामचरित मानस से जुड़े आदर्शों का अध्ययन कराया जाएगा. इस पेपर की पांच इकाइयों में वेद उपनिषद और पुराणों में उल्लेख किए गए आदर्शों और गुणों की व्याख्या तो पढ़ाई जाएगी साथ ही रामायण और रामचरितमानस में अंतर भी बताया जाएगा. भगवान श्री राम की पित्र भक्ति और उनके बाकी गुणों का भी इस पूरे पाठ्यक्रम में विस्तार से पाठ कराया जाएगा.
इस फैसले पर कांग्रेस ने जताया ऐतराज
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव कहते हैं कि हमारे गौरवशाली अतीत का ज्ञान छात्रों को हो इसलिए ये कोर्स तैयार किया गया है. इसमें किसी को क्या आपत्ति होना चाहिए मगर कांग्रेस के कुछ विधायकों ने इस पर ऐतराज जताया है. भोपाल मध्य के विधायक आरिफ मसूद ने मांग की है कि यदि कोर्स में रामचरित मानस पढ़ाया जा रहा है तो फिर कुरान के पाठ भी पढ़ाए जाएं. ऐसा लगता है आने वाले दिनों में ये मसला बड़ा बनेगा और शिवराज सरकार को चर्चा में लाएगा.
एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा, 'जो कोई भी छात्र भगवान राम के चरित्र और उनके कामों के बारे में जानना चाहता है, वह पाठ्यक्रमों के जरिए पढ़ सकता है. हम गजल के रूप में उर्दू भी पढ़ाने जा रहे हैं. ये एक स्वैच्छिक विषय रहेगा. छात्र अपनी मर्जी के अनुसार पढ़ सकते हैं. इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.'
"एमपी देश का पहला राज्य..."
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने एबीपी न्यूज से कहा कि रामचरितमानस की पढ़ाई में कोई बुराई नहीं है ये स्वदेशी शिक्षा प्रणाली और नई शिक्षा नीति के तहत इसे लागू करने की पहल की है. इसे भगवाकरण कह लो या फिर कुछ और. हमारी नई शिक्षा नीति में नये कोर्स के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू की है. जो अध्ययन मंडल बना था उसी ने नया सिलेबस बनाया है. उसी में दर्शन के रूप में श्रीरामचरितमानस का पाठ्यक्रम 100 अंकों के साथ शामिल किया है. एमपी देश का पहला राज्य है जिसने ऐसा किया है.
उन्होंने आगे कहा, "यही तो कांग्रेस की दिक़्क़त है कि वो हर किसी की तुलना भगवान राम के साथ करना चाहते है. जो हमारे आदि पुरूष हैं जिनके बलबूते हमारी संस्कृति पल्लवित हुई है. राम आदर्श पति आदर्श योद्धा और आदर्श विद्यार्थी के रूप आदर्श वनवासी के रूप में जिन्होंने जीवन जिया है. ऐसे महापुरुष को अगर जोड़ते हैं तो उसको तुष्टिकरण से देखना ग़लत बात है."
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