Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) दिए जाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के मुताबिक राज्य में कुल 49 फीसदी ओबीसी आबादी है. जबकि आयोग ने 35 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की हुई है. इसलिए कोर्ट उनको एक हफ्ते का समय दे. इस हफ्ते भर में आरक्षण के लिए निर्धारित सभी पैमानों को पूरा कर दिया जाएगा.
एससी ने राज्य सरकार के जवाब के बाद कहा कि वह मंगलवार को तय करेगा कि राज्य सरकार को समय दिया जाए या बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराए जाएं. आपको बता दें कि इस समय एमपी में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. बीजेपी जहां ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत करने लगी है तो वहीं कांग्रेस (Congress) गलत आंकड़े पेश कराने के आरोप लगा रही है.
राज्य में पहले से ही पिछड़े वर्ग के आरक्षण (Reservation) को 14 से 27 प्रतिशत कर यानी कि 13 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाए जाने को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है. सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस एक दूसरे पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं.
पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने सौंपी है रिपोर्ट
राज्य सरकार की तरफ से गठित पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने एक रिपोर्ट गुरुवार को सरकार को सौंपी है. इसमें नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में 35 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की अनुशंसा की गई है. साथ ही ये भी कहा गया है कि संविधान में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाए. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 48 प्रतिशत मतदाता ओबीसी वर्ग से आते हैं.
हमलावर हो गई है कांग्रेस
राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की इस रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग को लेकर गलत आंकड़े पेश कर रही है. प्रदेश में इस वर्ग की आबादी 56 फीसदी से ज्यादा है. बीजेपी सरकार पिछड़ों के साथ एक बार फिर धोखा देने का काम कर रही है. न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं वो गलत हैं. प्रदेश में इस वर्ग की आबादी 56 प्रतिशत से ज्यादा है, उसी हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए.
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