मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में नई शराबनीति को मंजूरी दे दी गई है. इस पॉलिसी को मिली मंजूरी के बाद अब मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों पर बैठकर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी. सरकार ने प्रदेश के सभी अहाते और शॉप बार बंद करने का फैसला किया है. जिसका मतलब है कि अब से मध्यप्रदेश में शराब पीने के लिए आपको अपनी ही जगह तलाशनी होगी.

पिछले कुछ सालों से बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर लगातार दबाव बनाती नज़र आ रही थीं. उन्होंने कई बार इसको लेकर आंदोलन और शराब की एक दुकानों पर पत्थरबाजी भी की थी. हालांकि शराब को लेकर नई नीति आ ही गई है. सरकार का कहना है कि शराब को लेकर नए नियम इसलिए लाए गए हैं ताकि लोग कम से कम शराब पियें.

ऐसे में सवाल उठता है कि मध्य प्रदेश भी  शराबबंदी के रास्ते पर है. इससे पहले बीजेपी शासित राज्य गुजरात में पूर्ण शराबबंदी है, बिहार में नीतीश कुमार भी शराबबंदी को अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनाते हैं.

पहले जानते हैं क्यों शराबबंदी के रास्ते पर है मध्यप्रदेश

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों के बार में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में शराब को हतोत्साहित करने के लिए शिवराज सिंह चौहान सरकार लगातार कई कदम उठाए हैं.

साल 2010 से आज तक इस राज्य में शराब की कोई नई दुकान नहीं खोली गई है, जबकि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान यहां 64 दुकानें बंद की गईं. इस साल भी आबकारी नीति में शराब को हतोत्साहित किया गया है.

तो पूरी तरफ शराब बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगाती सरकार

हमारे देश के कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पहले से शराबबंदी है. बिहार, गुजरात उनमें से एक है. इन राज्यों में शराबबंदी का असर यहां की सरकार पर सीधे तौर पर पड़ती रही है. हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां शराबबंदी तो थी लेकिनइसे हटा लिया गया. इसका कारण है सरकार की कमाई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत के ज्यादातर राज्यों के टैक्स रेवेन्यू में 10 से 15 फीसदी हिस्सेदारी शराब से मिलने वाली टैक्स की होती है. उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ये दो ऐसे राज्य हैं जहां के टैक्स रेवेन्यू में तो 20 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी शराब की है.

आरबीआई के डेटा के अनुसार मध्य प्रदेश के टैक्स रेवेन्यू में भी शराब की 10 फीसदी हिस्सेदारी है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2022-23 में सरकार को 1.36 लाख करोड़ रुपये का टैक्स रेवेन्यू मिलेगा. जिसमें से शराब से मिलने वाले टैक्स से आने की उम्मीद 13 हजार करोड़ से ज्यादा है.ऐसे में अगर मध्यप्रदेश सरकार पूर्ण रूप से शराबबंदी करती है तो सरकारी खजाने पर काफी असर पड़ेगा.

मध्य प्रदेश में शराब की कितनी है खपत?

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्यप्रदेश में 15 साल की उम्र से ज्यादा 17.1 प्रतिशत पुरुष शराब पीते हैं. वहीं, 1 प्रतिशत महिलाएं ही शराब का सेवन करतीं हैं. इसी आंकड़ों की माने तो राज्य में हर 100 में से 17 पुरुष शराब पीते हैं.

एमएफएचएस के अनुसार सबसे ज्यादा शराब की खपत ग्रामीण इलाकों में है. यहां लगभग 19 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 13 प्रतिशत पुरुष शराब पीते हैं.

किन-किन राज्यों में शराबबंदी?

अपने राज्य में शराब की ब्रिक्री बंद करने वाले बिहार इकलौता राज्य नहीं है. देश के कई राज्यों में शराबबंदी लागू किया जा चुका है. गुजरात सबसेपहला राज्य था जहां शराबबंदी लागू किया गया था. साल 1960 में जब गुजरात बना तभा से वहां शराब की ब्रिक्रि पर रोक है.

गुजरात के अलावा मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में भी ये नियम लागू है. वहीं मणिपुर में भी सल 1991 से शराबबंदी थी, लेकन अब सरकार ने इसपर छूट दे दी है.

केवल शराब से किस राज्यों में कितनी होती है इससे कमाई

एसबीआई स्टेट फाइनैंस रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, भारत के अन्य राज्यों की तुलना में दक्षिण भारत के राज्यों में शराब की सबसे ज्यादा बिक्री होती है.

कर्नाटक: कर्नाटक में राज्य सरकार शराब पर लगाए टैक्स से 14.27 फीसदी की कमाई करती है. आसान भाषा में समझे तो अगर कर्नाटक सरकार 100 रुपये की कमाई करती है तो उसमें से कुल 14.27 रुपये का राजस्व केवल शराब की बिक्री से आता है.

दिल्ली: शराब से कमाई के में दूसरा स्थान दिल्ली का है. दिल्ली सरकार शराब पर लगाए टैक्स से 11.37 फीसदी की कमाई करती है.

हरियाणा: तीसरे स्थान पर है हरियाणा. हरियाणा सरकार 10.49 फीसदी की कमाई शराब पर लगने वाले टैक्स से करती है.

उत्तर प्रदेश: यूपी सरकार शराब पर लगाए टैक्स से 9.92 फीसदी की कमाई करती है. आसान भाषा में समझे तो अगर यूपी सरकार 100 रुपये की कमाई करती है तो उसमें से कुल 9.92 रुपये का राजस्व शराब से आता है.

तेलंगाना: शराब से कमाई के मामले में पांचवा नंबर तेलंगाना का आता है. तेलंगाना सरकार 9.65 प्रतिशत टैक्स केवल शराब से कमाती है.

इन राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल में शराब से 8.62 फिसदी की कमाई होती है, मध्यप्रदेश में 7.35 फीसदी, पंजाब में 7.35 फीसदी, उत्तराखंड में 7.25 प्रतिशत, राजस्थान में 7.19 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 5.28 प्रतिशत की कमाई होती है.

गुजरात और बिहार का हाल भी जान लीजिए

एसबीआई स्टेट फाइनैंस रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार गुजरात सरकार सबसे कम कमाई करती है. वहां केवल 0.09 फीसदी शराब से कमाई होती है. जबकि बिहार सरकार शराब से कोई कमाई नहीं करती. क्योंकि यहां शराब बेचना बैन है.

अगर शिवराज सरकार शराब बंद करती है तो क्या फायदे हो सकते हैं

अगर मध्यप्रदेश में शराब की बिक्री पूरी तरफ बंद होती है तो सरकारी खजाने पर जरूर असर पड़ेगा लेकिन वहां की महिलाओं का समर्थन  हासिल करने में मदद मिलती है. उदाहरण के तौर पर बिहरा को लेते हैं. यहां साल 2015 के नीतीश कुमार ने राज्य में पूरी तरह शराबबंदी करने का फैसला लिया था.

इस फैसले का असर ये हुआ कि आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी को महिलाओं का जमकर समर्थन मिला. महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60 फीसदी के करीब हो गया. कुछ इलाकों में तो 70 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने नीतीश कुमार को वोट दिया था

नई एक्साइज पॉलिसी क्यों?

नई शराब नीति 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी. इसके बाद शराब पीने वाले किसी भी व्यक्ति को दुकानों पर बैठकर शराब पीने की सुविधा नहीं मिलेगी. हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि वह शराब नहीं खरीद सकते.

नई शराब में नीति में प्रदेश के सभी शराब के अहाते बंद करने का फैसला किया गया है. अब प्रदेश में कोई अहाता नहीं चलेगा. अहातों के अलावा सभी शॉप बार भी बंद किए जाएंगे.

इस नई नीति के तहत शराब बेचने वाले दुकानों को लेकर भी सख्ती की गई है. कोई भी शराब का दुकान स्कूल-कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थल और गर्ल्स हॉस्टल के 100 मीटर के दायरे से बाहर ही होंगी. बता दें कि इस नियम से पहले ये सीमा 50 मीटर थी. सरकार के इस फैसले से प्रदेश की करीब 200 के करीब दुकानें प्रभावित होंगी. अभी प्रदेश में 3608 शराब की दुकानें हैं. इसके अलावा शराब पीकर ड्राइविंग करने वालो का लाइसेंस निलंबित करने का फैसला भी किया है.


शराब पीकर गाड़ी चलाने पर क्या है नियम


मध्य प्रदेश के अलावा देश के किसी भी राज्य में नशे में अगर कोई व्यक्ति खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाते हुए नजर आता हो मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 के तहत पहली बार उसे 6 महीने की जेल या फिर दो हजार रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.


वहीं वह व्यक्ति दूसरी बार पकड़ा जाता है तो उसे दो साल की जेल या तीन हजार रुपये जुर्माना या फिर जेल और जुर्माना की सजा हो सकती है.


मध्य प्रदेश का नियम और सख्त


नए नियम के तहत अगर मध्य प्रदेश में कोई भी व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा जाता है तो उसका लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया जाएगा और उन्हें और सख्त सजा दी जाएगी.