MP गज़ब है: इंदौर के स्कूल में चपरासी वासुदेव 23 साल से पढ़ा रहे हैं संस्कृत
वासुदेव खुद गिरोता गांव के ही रहने वाले हैं और खुद इसी स्कूल में पढ़े हैं. वह बताते हैं कि उन्हें संस्कृत आती थी, लिहाजा वह बच्चों पढ़ाने भी लगे. नियमित रूप से दो कक्षाओं में छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं.
इंदौर: नाम है वासुदेव पांचाल, पद है सरकारी स्कूल में भृत्य (चपरासी) का, काम करते हैं झाड़ू-पोंछा लगाने और बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का. यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर बात है सोलह आने सच. वासुदेव पिछले 23 साल से स्कूल में संस्कृत पढ़ाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
वासुदेव हर दिन पहले पानी लाते हैं, फिर पूरे स्कूल में झाड़ू लगाते हैं
इंदौर जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर, देपालपुर विकासखंड का गांव है गिरोता. यहां के सरकारी हाईस्कूल में वासुदेव पंचाल (53) की खास पहचान है. वह माथे पर टीका लगाए हुए और सिर के पिछले हिस्से में चुटिया बांधे देखे जाते हैं. वासुदेव हर दिन पहले पानी लाते हैं, फिर पूरे स्कूल में झाड़ू लगाते हैं, कमरों और बरामदे के फर्श पर पोंछा मारते हैं और उसके बाद कक्षाओं में जाकर बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं.
गिरोता के सरकारी विद्यालय में बीते 23 सालों से संस्कृत के शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है. दरअसल, मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण कोई भी शिक्षक यहां आना ही नहीं चाहता. यही कारण है कि लगभग पौने दो सौ की छात्रों को पढ़ाने के लिए महज तीन ही शिक्षक हैं. वासुदेव बताते हैं कि संस्कृत का कोई शिक्षक न होने के कारण उन्हें ही संस्कृत पढ़ाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली हुई है. वे स्कूल में अपने हिस्से के सारे काम पानी भरने, घंटी बजाने, झाड़ू-पोंछा करने के अलावा बच्चों को संस्कृत पढ़ाने की जिम्मेदारी वह वर्ष 1996 से ही निभाते आ रहे हैं.
खुद इसी स्कूल में पढ़े हैं वासुदेव
वासुदेव खुद गिरोता गांव के ही रहने वाले हैं और खुद इसी स्कूल में पढ़े हैं. वह बताते हैं कि उन्हें संस्कृत आती थी, लिहाजा वह बच्चों पढ़ाने भी लगे. नियमित रूप से दो कक्षाओं में छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हैं. स्कूल के विद्यार्थियों का कहना है कि वासुदेव रुचिकर तरीके से संस्कृत पढ़ाते हैं. उनकी सभी जिज्ञासाओं को शांत करते हैं. छात्रों को संस्कृत शिक्षक की कमी महसूस नहीं होती. बीते साल इस स्कूल का 10वीं का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा है.
स्कूल के प्रभारी प्राचार्य महेश निंगवाल भी कहते हैं कि वासुदेव नियमित रूप से बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं. शिक्षण कार्य को लेकर मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए वासुदेव के नाम का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, पुरस्कार के लिए उनके नाम का चयन भी हो गया है. पिछले सप्ताह उन्हें प्रजेंटेशन के लिए भोपाल बुलाया गया था.
यह भी पढ़ें-
दिल्ली के किराएदारों को केजरीवाल सरकार का तोहफा, सस्ती बिजली के लिए लगाए जाएंगे प्रीपेड मीटर
चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पीड़िता गिरफ्तार, रंगदारी मांगने का आरोप