जानें- शिवराज सरकार के राज में क्यों हिंसक हुआ किसान?
भोपाल/मंदसौर: मध्य प्रदेश में किसानों के हिंसक आंदोलन के लिए प्रदेश की शिवराज सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. राज्य में किसानों का आंदोलन एक जून को शुरू हुआ था, जो राज्य सरकार के ढीले रवैये के कारण लगातार बढ़ता ही गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भले शांति की अपील कर रहे हों लेकिन अब देर हो चुकी है.
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मंदसौर से पहले सिहोर में और अब देवास से लेकर नीमच, इंदौर, उज्जैन और रतलाम तक आंदोलन फैल चुका है, लेकिन ये नौबत एक दिन में नहीं आई है. बीते रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने सिर्फ बीजेपी-संघ से जुड़े किसान संगठन के साथ बैठक की थी और सिर्फ किसानों के एक धड़े से बात करके किसान आंदोलन खत्म होने का दावा कर दिया गया. शिवराज का ये दांव उल्टा पड़ गया और अब ये हालत है कि पूरा प्रदेश जल रहा है और शिवराज इसे कांग्रेस की साजिश बता रहे हैं.
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मध्य प्रदेश में 12 साल से शिवराज सिंह चौहान सत्ता में हैं. किसान कर्जमाफी और फसल के उचित दाम की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर शिवराज ने कर्जमाफ किया तो सरकार पर 74 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. इसलिए कर्ज माफ करना उनकी सरकार के बस में नहीं है.
चार बार किसान कर्मण्य अवॉर्ड पाने वाला इकलौता राज्य है मध्य प्रदेश
शिवराज सरकार उपलब्धि गिनाती है कि भारत सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा किसान कर्मण्य अवॉर्ड लगातार चार बार पाने वाला इकलौता राज्य मध्य प्रदेश है. जबकि हकीकत ये है कि 2012 से 2016 तक अच्छी पैदावार के लिए चलाई जा रही योजना के तहत खर्च 945 करोड़ में सिर्फ दो फीसदी किसानों को फायदा हुआ है.
पिछले चार सालों में कृषि विकास दर 20 फीसदी से ज्यादा रही- एमपी सरकार
शिवराज सरकार का दावा है कि पिछले चार सालों में कृषि विकास दर 20 फीसदी से ज्यादा रही, जबकि सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी कर्मचारी बीज की बुआई से पहले जांच नहीं कर पाए, जिसकी वजह से पैदावार और किसानों की आमदनी पर असर पड़ा.
खेती का सामान खरीदने में 261 करोड़ रुपये की धांधली- सीएजी रिपोर्ट
शिवराज सरकार ने किसानों के हित के लिए कृषि कैबिनेट का गठन किया. वहीं, सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि किसानों के लिए खेती का सामान खरीदने में 261 करोड़ रुपये की धांधली हुई. इस आंदोलन से पहले भी सवाल उठते रहे हैं कि अगर खेती 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है तो फिर किसान असंतुष्ट क्यों हैं? हर साल आलू, टमाटर, प्याज से लेकर संतरा तक सड़कों पर किसान क्यों फेंकते हैं. जाहिर है इस असंतोष की वजह शिवराज सरकार की नीतियां हैं.
...तो इसलिए कर्ज में डूबा रहता है किसान
इन बारह सालों में शिवराज खेती को मुनाफे का धंधा बनाने की बात कहते रहे लेकिन हकीकत ये है कि अफसरशाही की वजह से शिवराज किसानों की दिक्कत पर आंख मूंदे रहे.
आढतिये औने-पौने भाव में किसानों की फसल खरीदते हैं, जिससे किसान कर्ज में डूबा रहता है. इतना ही नहीं बिजली के बढ़े हुए बिल आते हैं और मंडियों में किसानों को ज्यादा टैक्स भरना पड़ता है. अन्नदाता नुकसान की खेती करता रहा और जब गुस्सा बढ़ा तो अब शिवराज सरकार गुस्से के बदले गोली दे रही है.