Madras High Court: पति की गार्जियन बनी पत्नी, कोर्ट ने कहा बेच सकती है जायदाद भी, जानें आखिर पूरा मामला क्या है
Madras High Court: इससे पहले होई कोर्ट के सिंगल ने महिला की याचिका को खारिच करते हुए उन्हें सिविल कोर्ट में जाने के लिए कहा था. आदेश के मुताबिक महिला के पति के नाम पर 50 लाख की एफडी बनी रहेगी.
Madras High Court Verdict: मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार (29 मई) को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कोमा में पड़े एक शख्स की पत्नी को उसकी एक करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति बेचने या गिरवी रखने की अनुमति दे दी. बार एंड बेंच की रिपोर्ट मुताबिक कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया है ताकि वह उस संपत्ति से प्राप्त पैसों से अपने पति का इलाज और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.
कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को पलटा
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और पीबी बालाजी की पीठ ने सिंगल बेंच की ओर से पारित आदेश को पलट दिया, जिन्होंने 23 अप्रैल 2024 को महिला की याचिका खारिज कर दी थी. उस महिला ने अपनी याचिका में खुद को अपने पति एम. शिवकुमार का अभिभावक नियुक्त करने की मांग की थी.
'अपीलकर्ता को सिविल कोर्ट भेजना सही नहीं'
हाई कोर्ट की पीठ ने बुधवार को कहा, "कोमा की हालत में पड़े शख्स की देखभाल करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए पैसे की जरूरत होती है. पैरामेडिकल स्टाफ को काम पर रखना होगा... अपीलकर्ता को पूरा बोझ उठाना पड़ रहा है. ऐसे में अपीलकर्ता को सिविल कोर्ट में जाने के लिए मजबूर करना सही नहीं होगा."
जस्टिस ने कहा कि अपीलकर्ता के बच्चों के साथ बातचीत के बाद, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि परिवार के पास कोई साधन नहीं है और जब तक याचिका में उल्लेख की गई संपत्ति से निपटने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक उन्हें समस्याएं होंगी.
बैंक खातों का संचालन समेत की गई ये मांग
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपने पति का अभिभावक नियक्त किए जाने के साथ-साथ उसके बैंक खातों को संचालित करने की भी अनुमति मांगी थी. उस महिला ने अपनी याचिका में कहा कि यदि आवश्यक हो तो चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के समीप वॉलटैक्स रोड पर उसके पति के स्वामित्व वाली अचल संपत्ति को बेचने या गिरवी रखने की अनुमति दी जाए.
सिंगल बेंच ने खारीज की थी याचिका
इससे पहले कोर्ट की सिंगल बेंच ने इस मामले को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, "पत्नी को पति के अभिभावक की नियुक्ति के लिए रिट याचिका (Writ Petition) पर विचार नहीं किया जा सकता. खासकर तब जब मेंटल हेल्थ केयर अधिनियम 2017 में वित्तीय पहलुओं से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं है." उन्होंने याचिकाकर्ता का ऐसी मांग के लिए सिविल कोर्ट जाने के लिए कहा था.
कोर्ट ने पत्नी को गार्जियन बनाकर संपत्ति बेचने की अनुमति दे दी. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि शिवकुमार (महिला के पति) के नाम पर 50 लाख रुपये की एफडी बनी रहेगी.