Tamil Nadu News: मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड (सीएमआरएल) के पास बिना मास्क वाले यात्रियों पर जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं है और ऐसे व्यक्तियों से जुर्माने के रूप में 200 रुपये की राशि वसूलने और जमा करने संबंधी सीएमआरएल का आदेश रद्द कर दिया. मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी ऑडिकेसवालु की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संदर्भ में दिया गया आदेश जनहित में जारी किया गया हो सकता है और इसकी मंशा अच्छी रही होगी. लेकिन, सीएमआरएल के पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. पीठ ने कहा कि सबसे अच्छे इरादे वाली कार्रवाई, कानून के अधिकार द्वारा समर्थित नहीं है.


जुर्माने की वसूली गयी राशि संबंधित व्यक्तियों को वापस करने के संबंध में पीठ ने सीएमआरएल को इसे अपने पास रखने की अनुमति दे दी क्योंकि यह राशि 87,000 रुपये ही थी. पीठ ने कहा कि उन व्यक्तियों की पहचान करना भी लगभग असंभव होगा जिन पर जुर्माना लगाया गया था. संभवत: ऐसे व्यक्ति भी अब इसे वापस लेने में दिलचस्पी नहीं लेंगे.


अदालत ने आर मुथुकृष्णन की एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया. इस याचिका में इस साल 10 अप्रैल को सीएमआरएल की एक प्रेस रिलीज को चुनौती दी गई थी. जिसमें 11 अप्रैल से मास्क नहीं लगाने वाले यात्रियों पर 200 रुपये का जुर्माना लगाने की घोषणा की गई थी. पीठ ने कहा कि राज्य के पास जुर्माना लगाने का अधिकार है तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि सीएमआरएल भी इसे लागू कर सकता है, भले ही इसके पीछे अच्छी मंशा रही हो.


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