Madras High Court: मद्रास हाई कोर्ट ने एक दंपती से जुड़े मामले में महिलाओं के हक में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बुधवार (21 जून) को ये फैसला सुनाते हुए कहा कि एक पत्नी अपने पति की खरीदी गई संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी की हकदार है. पत्नी की ओर से निभाई गई जिम्मेदारियों की तुलना पति की 8 घंटे की नौकरी से नहीं की जा सकती. पत्नी घर संभालती है और ये काम किसी भी मायने में पति की 8 घंटे की शिफ्ट से कम नहीं है. 


इस मामले में पति ने अपनी पत्नी पर उसकी खरीदी हुई संपत्ति पर कब्जा करने और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चलाने का भी आरोप लगाया था. कन्नियन नायडू नाम के शख्स ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी कंसाला वो संपत्ति हड़पना चाहती है, जिसे खरीदने के लिए लिए उसने पैसे दिए थे. क्योंकि वह विदेश में रह रहा था इसलिए अपने नाम पर ये संपत्ति नहीं खरीद सकता था तो उसने पत्नी के नाम पर खरीदी थी. इस मामले में पति की मौत के बाद उसके बच्चों ने अपनी विधवा मां के खिलाफ केस लड़ा था. 


मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा?


कोर्ट में कन्नियन की पत्नी ने कहा था कि वह इन सभी संपत्तियों में बराबर की हकदार है, क्योंकि पति के विदेश में रहने के दौरान उसने परिवार की देखभाल की थी. इस कारण वो खुद नौकरी भी नहीं कर सकी थी. जस्टिस कृष्णन रामासामी ने कहा कि प्रतिवादी महिला एक गृहिणी है, हालांकि उसने कोई प्रत्यक्ष वित्तीय योगदान नहीं दिया, लेकिन उसने बच्चों की देखभाल की, घर को संभाला था. 


"पत्नी ने घर संभाला तभी पति विदेश में नौकरी कर पाया"


कोर्ट ने कहा कि महिला ने घरेलू कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिससे उसका पति विदेश में रहकर नौकरी कर पाया. महिला ने अपने सपनों का बलिदान दिया और अपना पूरा जीवन परिवार और बच्चों की देखभाल में बिताया. आम तौर पर विवाहों में पत्नी बच्चों को जन्म देती है, उनका पालन-पोषण करती है और घर की देखभाल करती हैं. इस प्रकार वह अपने पति को घर की जिम्मेदारियों से मुक्त कर देती हैं जिससे वो बाहर जाकर नौकरी कर सके. 


"एक गृहिणी कई काम करती है"


जज ने कहा कि एक पत्नी, एक गृहिणी होने के नाते कई काम करती है- जैसे मैनेजमेंट स्किल के साथ प्लानिंग करना, बजट बनाना, एक शेफ के रूप में खाना बनाना, एक घरेलू डॉक्टर की तरह देखभाल करना, इकोनॉमिस्ट की तरह घर के बजट की प्लानिंग, बचत करना. महिला ये सब काम करके घर में आरामदायक माहौल बनाती हैं और परिवार के प्रति अपना योगदान देती है. 


"बिना छुट्टी के चौबीस घंटे करती हैं काम"


उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ये योगदान बहुत बड़ा है और पति की नौकरी से कम नहीं आंका जा सकता जो केवल 8 घंटे काम करता है. एक गृहिणी बिना किसी छुट्टी के चौबीसों घंटे घर संभालने का काम करती है. जब पति और पत्नी को परिवार की गाड़ी के दो पहियों के रूप में माना जाता है, तो पति की कमाई में पत्नी बराबर की हकदार है. अदालत ने कहा कि उन्होंने अपने संयुक्त प्रयास से जो कुछ भी कमाया उस पर पत्नी का भी हक है. 


"पत्नी संपत्तियों में आधे हिस्से की हकदार'


कोर्ट ने कहा कि भले ही गृहिणी की ओर से किए गए योगदान को मान्यता देने के लिए अब तक कोई कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन अदालत इस योगदान को अच्छी तरह से पहचानती है. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कुछ अचल संपत्ति में दोनों के लिए समान हिस्सेदारी का आदेश सुनाया. इससे पहले निचली अदालते ने पति के दावे को स्वीकार करते हुए उसे ही संपत्तियों का असली मालिक माना था. 


कन्नियन और कंसाला की शादी 1965 में हुई थी. दोनों के तीन बच्चे हैं- दो बेटे और एक बेटी. कन्नियन ने 1983 से 1994 के बीच सऊदी अरब में नौकरी की थी. भारत लौटने के बाद उसने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी उसकी कमाई से खरीदी गई संपत्तियों को हड़पना चाहती है. पति-पत्नी तब अलग रहने लगे थे. 2016 से कोर्ट में मामला चल रहा था. इस बीच कन्नियन की मौत हो गई. जिसके बाद उसके बच्चों ने ये केस लड़ा. महिला ने अपने पति की संपत्ति में हिस्सा मांगा था.


(इनपुट पीटीआई से भी)


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