मद्रास हाई कोर्ट ने पलटा सिंगल बेंच का फैसला, दी थी गणेश चतुर्थी पर प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बेचने की इजाजत
Madaras High Court: जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी है.
Madras HC On Idols Sale: मद्रास हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने रविवार (17 सितंबर) को सिंगल पीठ से पारित उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों को बेचने की इजाजत दी गई थी. मद्रास हाई कोर्ट की स्पेशल सिटिंग में अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि विनायक चतुर्थी उत्सव के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों की कोई बिक्री या निर्माण नहीं होगा.
जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया है.
राज्य सरकार की दलील को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने दिया फैसला
कोर्ट ने यह फैसला राज्य सरकार की दलील को ध्यान में रखते हुए दिया है, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के जारी दिशा निर्देशों के अनुसार बिना किसी टॉक्सिक और बिना कार्बन वाले कच्चे मटेरियल जैसे मिट्टी और बायोडिग्रेडेबल से बनी मूर्तियों को बढ़ावा देना चाहिए और प्लास्टर ऑफ पेरिस और प्लास्टिक से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा देना जाना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले पर डिटेल में विचार करने की जरूरत है. इसके बाद मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया.
'मूर्तियों की बिक्री को नहीं रोक सकते'
गौरतलब है कि शनिवार (16 सितंबर) को सिंगल बेंच की कोर्ट ने कहा था कि जलाशयों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति नहीं दी जा सकती है, हालांकि, अधिकारी मूर्तियों की बिक्री को नहीं रोक सकते हैं.
कारीगरों को मूर्ति बेचने का अधिकार
कोर्ट ने कहा था कि मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को अपने सामान को बेचने का हक है और यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत दिया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि बिक्री को रोकना मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा. ऐसे में अगर मूर्तियां पर्यावरण के अनुकूल हों तो इसके निर्माण और बिक्री को रोका नहीं जा सकता है.