Madrasa Demolition: उत्तराखंड के नैनीतल जिले के हल्द्वानी में गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को भड़की हिंसा के कारण काफी नुकसान हुआ है. आगजनी, तोड़फोड़, फायरिंग और पत्थरबाजी में 4 लोगों की मौत हो गई और 100 से भी ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए. यहां अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिद और मदरसे को हटाने के लिए नगर निगम की टीम पहुंची तो उन पर पथराव कर दिया गया. इतना ही नहीं पुलिस फोर्स पर पेट्रोल बम फेंके गए और वाहनों में भी आग लगा दी.
प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया और दंगाईयों को दिखते ही गोली मारने का भी आदेश जारी कर दिया. शुक्रवार को जुमे की नमाज के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई. इस समय भले वहां शांति है, लेकिन जिस वक्त यह वारदात हुई तो स्थिति बहुत भयानक थी. पुलिसकर्मी किसी तरह जान बचाकर मुश्किल से वहां से निकले. जब वह वहां से निकले तब भी उन पर पत्थर और बोतलें बरसाई गईं. किसी तरह एक घर में छिपे, लेकिन वहां भी पत्थर फेंके गए. घर के खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए गए.
महिला पुलिसकर्मी ने बताई आपबीती
एक घायल महिला पुलिसकर्मी ने आंखों देखा हाल बताया है. महिला पुलिसकर्मी ने एक चैनल से बातचीत में बताया कि हम बहुत बचकर आए हैं. उन्होंने बताया, 'पथराव हुआ तो हम एक घर में घुस गए. हम कम से कम 15-20 लोग थे, जो घर में घुसे थे. भीड़ ने आग लगाने की कोशिश की, पथराव किया, सब किया. काफी देर बाद हमारा पुलिस फोर्स आया. फिर बड़ी मुश्किल से निकल कर आए. चारों तरफ से जो पत्थर लगे. बहुत मुश्किल से निकल कर आए. बहुत कंडीशन खराब थी.'
महिला पुलिसकर्मी ने आगे बताया, 'वहां हर तरफ, गलियों में चारों तरफ से पथराव हो रहा था. गलियां घेर ली थीं उन लोगों ने, छतों से भी आ रहे थे. हम 15-20 लोग एक घर के अंदर घुसे हुए थे. हमने फोन करके लोकेशन भेजी. जिस आदमी ने हमें बचाया, उसको भी गालियां दीं. उनके मकान, खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए. फिर लोकेशन भेजी तो फोर्स आया. उसके बाद हमें बाहर निकाला. जब हम बचकर बाहर आ रहे थे तो ऊपर से शीशे, बोतलें, ईंटें वगैरह फेंकी. रास्ते में जाम लगा दिया, बड़ी मुश्किल से गिरते-पड़ते आए हम लोग. मुझसे चला नहीं जा रहा है. बहुत दर्द हो रहा है.'
कल मदरसा हटाने 1 बजे बुलडोजर लेकर पहुंची थी टीम
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने बनभूलपुरा क्षेत्र में बने मदरसे और मस्जिद को हटाने का निर्देश दिया था. इस जमीन पर किसी का मालिकाना हक नहीं है और न ही ऐसा रिकॉर्ड है, जिसमें मदरसा और मस्जिद धार्मिक संरचना के तौर पर दर्ज हो. उन्होंने कहा कि इस जमीन को लोग मलिक का बगीचा कहते हैं, लेकिन ऐसा कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है. वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर शहर में जगह-जगह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है. 30 जनवरी को यहां बनी दो इमारतों, जिन्हें कुछ लोग मदरसा और मस्जिद कहते हैं, पर नोटिस लगाया गया था कि इसको खाली कर दें, इन्हें हटाया जाएगा.