Corona बम साबित हो सकता है Prayagraj का Magh Mela, आज गंगा सागर मेले को रद्द करने पर भी आएगा HC का फैसला
Magh Mela 2022: प्रयागराज के माघ मेले में हर साल कई शंकराचार्यों के साथ ही देश के तकरीबन प्रमुख संत-महात्मा यहां कल्पवास करने या आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं.
Magh Mela 2022: देश में एक तरफ कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सरकार तमाम पाबंदियां लगा रही है. मास्क लगाने और दो गज की दूरी बरतने के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल की हिदायतें फिर से याद दिलाई जा रही हैं, तो वहीं दूसरी तरफ संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में आस्था के नाम पर हर साल लगने वाले माघ मेले के लिए तंबुओं का एक ऐसा शहर ज़ोर- शोर से बसाया जा रहा है, जहां हज़ारों और लाखों नहीं बल्कि कई करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
मेला प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी
सरकार और मेला प्रशासन ने संत-महात्माओं, कल्पवासियों और दूसरे श्रद्धालुओं को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए कई नियम बना दिए हैं. एडवाइजरी जारी कर दी है. सख्ती बरतने और लोगों को जागरूक करने का दावा किया है, लेकिन सिर पर आस्था की गठरी लादकर पुण्य कमाने की लालसा में आने वाली लाखों की भीड़ के बीच कोविड प्रोटोकॉल का पालन करा पाना व्यवहारिक तौर पर कतई मुमकिन नज़र नहीं आता.
पिछले साल हरिद्वार कुंभ का अंजाम देखने के बावजूद मेले के आयोजन पर रोक लगाकर एक तरफ जहां सरकार चुनावी साल में वोटर रूपी श्रद्धालुओं को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती तो वहीं दूसरी सियासी पार्टियां भी इस मामले में मुंह खोलने या आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. प्रयागराज के माघ मेले में हर साल कई शंकराचार्यों के साथ ही देश के तकरीबन प्रमुख संत-महात्मा यहां कल्पवास करने या आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं.
न मास्क, न सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच यह भगवाधारी ही यहां आनी वाली भीड़ को नसीहत देकर या फिर उनसे अपील कर तमाम लोगों की ज़िंदगी और सेहत खतरे में पड़ने से बचा सकते हैं, क्योंकि आम श्रद्धालुओं से लेकर ज़्यादातर महात्मा और तीर्थ पुरोहित इस भरोसे के साथ यहां डेरा जमाने लगे हैं कि गंगा मइया की गोद में रहकर माघ महीने में धर्म और आध्यात्म की अलख जगाने पर कोरोना उनका कोई नुकसान नहीं कर सकेगा. इस तरह की दलीलें देने और यकीन रखने वाले लोग बेफिक्र होकर मेले में इंट्री कर रहे हैं. वह न तो मास्क लगा रहे हैं. न ही दो गज़ की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं.
इतना ही नहीं ज़्यादातर लोग तो आस्था के आगे व्यवस्थाओं को बौना साबित कर महामारी का मज़ाक उड़ाते हुए पूरे दावे से यह कह रहे हैं कि उन्हें न तो कोरोना से डर लगता है और न ही वह बहुत फिक्रमंद हैं. यह हाल तब है, जब अकेले प्रयागराज में कोरोना बेहद तेजी से पांव पसारने लगा है. संगम नगरी प्रयागराज की बात करें तो यहां हफ्ते भर पहले कई दिनों तक एक भी केस नहीं आ रहा था. 31 दिसंबर को यहां छह मामले आए. एक जनवरी को सात. दो जनवरी को पांच लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. तीन जनवरी को छत्तीस लोग संक्रमित हुए. चार जनवरी को संख्या इकतीस पर सीमित हुई, जबकि पांच जनवरी को विस्फोट हुआ और संख्या सौ के पार जाकर एक सौ छत्तीस पर पहुंच गई. जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर अब ढाई सौ का आंकड़ा पार कर चुकी है.
क्या रद्द होगा गंगा सागर मेला?
वहीं, दूसरी ओर कोलकाता हाईकोर्ट पश्चिम बंगाल में कोरोना मामलों में ताजा उछाल के बीच इस साल के गंगासागर मेला को रद्द करने की याचिका पर आज फैसला सुनाएगी. गुरुवार को हाईकोर्ट ने फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था. गंगा सागर मेले को टालने के लिए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. पेशे से डॉक्टर अभिनंदन मंडल ने जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने मेले में लगने वाले जमावड़े की वजह से कोविड-19 संक्रमण का खतरा और बढ़ने की आशंका जताई है.