प्रयागराज में आज से माघ मेले की शुरुआत, कोरोना संक्रमित नहीं होने की रिपोर्ट के साथ ही मिलेगी एंट्री
प्रयागराज में हर साल माघ महीने में आस्था का मेला लगता है. इसके लिए अलग शहर बसाया जाता है. अलग अफसरों की नियुक्ति की जाती है. मेले में इस बार भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं.
संगम नगरी प्रयागराज में आज से माघ मेले की शुरुआत हो रही है. आज मकर संक्रांति से शुरू हो रहा माघ मेला 11 मार्च को महाशिवरात्रि तक चलेगा. कोरोना और बर्ड फ्लू के साये के बीच शुरू हो रहा इस बार का माघ मेला कई मायनों में बेहद खास है. इस बार ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष संयोग मकर संक्रांति और मेले को खासा फलदायक बना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अमले पर श्रद्धालुओं को कोरोना से बचाने की बड़ी चुनौती भी है.
संक्रमित नहीं होने की रिपोर्ट के साथ ही मिलेगी एंट्री माघ मेले में केवल उन्हीं व्यक्तियों को एंट्री मिलेगी, जिनके पास कोविड-19 से संक्रमित नहीं होने की पुष्टि करने वाली रिपोर्ट होगी. यह जानकारी मुख्य सचिव की ओर से पेश किए गए निर्देशों के जरिए अदालत को उस समय दी गई, जब कोविड-19 से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी.
अदालत ने कहा, 'सरकार यह बात ध्यान में रखे कि माघ के महीने में इस तरह का समागम बहुत विशाल स्तर पर होता है और यदि एक भी संक्रमित व्यक्ति इस शहर में प्रवेश करता है तो वह तबाही मचा सकता है.'
पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद करीब दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस मेले में देश-दुनिया से तकरीबन पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का एक अलग शहर बसाया गया है. दर्जन भर से ज्यादा थाने और तीस के करीब पुलिस चौकियां बनाई गईं हैं. अस्पताल और सरकारी राशन की दुकानों के साथ ही तमाम सरकारी विभागों के दफ्तर भी बनाए गए हैं. साधू संतों और कल्पवासियों के लिए टेंट सिटी बनाई गई है तो साथ ही लोहे के चकर्ड प्लेट की सड़कें और गंगा नदी पर आवागमन के लिए पीपे के पुल बनाए गए हैं.
मेले में इस बार गंगाजल को लेकर काफी कोहराम मचा हुआ है. संगम के आसपास का पानी इतना प्रदूषित है कि गंगाजल कहीं काला तो कहीं मटमैला सा नजर आ रहा है. इसे लेकर संतों में खासी नाराजगी भी है.
संतों ने सीमित की अपने शिविरों में रहने वाले भक्तों की संख्या माघ मेले के 5 क्षेत्रों में अपने शिविर लगा रहे संतों ने अपने भक्तों की संख्या को सीमित कर दिया है. कोविड के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने में जिला प्रशासन की मदद करने और सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
स्वामी विनायक बाबा ने कहा, "मैंने केवल 200 अनुयायियों को शिविर में रहने की अनुमति दी है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है. जबकि पहले शिविर में करीब 2000 अनुयायी रहते थे. हमने सैनिटाइटर और मास्क के लिए एक विशेष काउंटर भी बनाया है. एक टीम भी बनाई है जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थर्यात्रियों की थर्मल स्कैनर से स्क्रीनिंग करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वे मास्क पहनें और सैनिटाइटर का उपयोग करें."
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