नई दिल्ली: नीतीश कुमार के सीएम पद से इस्तीफे के साथ ही बिहार में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के बीच 20 महीने पुराना महागठबंधन टूट गया. नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कहा, 'हमने महागठबंधन की सरकार को 20 महीने से ज्यादा चलाया है. जितना संभव हुआ गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता से चुनाव के दौरान जो बातें की उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की. पर अब इस माहौल में काम करना संभव नहीं था.'


लालू प्रसाद यादव के बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दिया है. बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब आरजेडी और जेडीयू के बीच टकराव देखने को मिला है. इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए जब नीतीश और लालू की पार्टी के बीच खुलकर मतभेद देखने को मिले. आइए जानते हैं किन मुद्दों पर जेडीयू और आरजेडी के बीच मतभेद देखने को मिले.


1. बिहार के डिप्टी सीएम पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप

सीबीआई ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ-साथ तेजस्वी और परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का सालों पुराना मामला दर्ज किया. सीबीआई ने सात जुलाई को पटना सहित देशभर के 12 स्थानों पर छापेमारी की थी. जिसके बाद से ही तेजस्वी पर डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देने का दबाव था. तेजस्वी के इस्तीफा देने से मना करने के बाद आज नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

2. आरजेडी के विपरीत जेडीयू ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का किया था समर्थन

नीतीश कुमार ने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के समर्थन का एलान किया था. नीतीश ने अपने फैसले की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी दी थी.

3. जीएसटी पर महागठबंधन से अलग थी नीतीश की राय

30 जून को जीएसटी के संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात को हुए कार्यक्रम पर भी नीतीश कुमार की राय महागठबंधन से अलग थी. जहां कांग्रेस समेत महागठबंन ने कार्यक्रम में हिस्सा लेने से साफ इंकार कर दिया था वहीं नीतीश कुमार के इसमें जाने की पूरी चर्चा थी. हालांकि नीतीश ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था.

4. शहाबुद्दीन का टेप आने के बाद हुई थी नीतीश के इस्तीफे की मांग

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और जेल में बंद बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो जारी होने के बाद बिहार की सियासत गरमा गई थी. विपक्ष ने इसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा था कि लालू-शहाबुद्दीन मामले पर उन्होंनें चुप्पी साधे रखी. बीजेपी के नेता जीतनराम मांझी ने तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग भी की थी.


5. नोटबंदी पर नीतीश ने किया था पीएम मोदी के फैसले का समर्थन


पीएम मोदी ने जब 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित करने का फैसला किया था तब विपक्ष ने इस फैसले का विरोध किया था. लेकिन नीतीश कुमार ने पीएम के फैसले की तारीफ की थी. नीतीश ने 500 और 1000 रूपये के नोट पर प्रतिबंध लगाए जाने की पैरवी करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को बेनामी संपत्ति पर भी जल्द से जल्द हमला करना चाहिए.

6. शहाबुद्दीन का जेल से निकलना और नीतीश पर हमला करना

जेल से निकलने के बाद शहाबुद्दीन ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला था. 11 साल बाद सलाखों के बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने कहा था कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के नेता हैं और वे उनके नेता नहीं हैं. शहाबुद्दीन ने कहा था कि लालू यादव ही उनके नेता हैं. नीतीश ने तब कहा था कि मेरे लिए ये बातें कोई महत्व नहीं रखती.