परी अखाड़े के अर्धनारीश्वर धाम की प्रमुख और किन्नर कथावाचक हिमांगी सखी ने अपने बचपन की दर्दनाक कहानी सुनाई है. बचपन में उन्होंने माता-पिता को खो दिया, बार-बार उनका यौन शोषण किया गया और आर्थिक तंगी के चलते सड़कों पर पड़ा झूठा खाना तक खाया. उन्होंने ये भी बताया कि उनके माता-पिता की लव मैरिज हुई थी, जिसकी वजह से रिश्तेदारों से भी कोई सपोर्ट नहीं मिला और उनके नाना-नानी, मामा-मौसी उनकी मां से नफरत करते थे इसलिए जब उनकी मां का निधन हुआ तो कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया.


हिमांगी सखी ने बताया कि बचपन में वह काफी अच्छे स्कूल में पढ़ रही थीं और उनकी मां हाईली एजुकेटेड थीं, लेकिन जब उनके पिता की अचानक मृत्यु हुई तो उनकी मां पागल सी हो गईं और फिर परिवार को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया, 'मेरे पापा फिल्म डिस्ट्रीयूब्यूटर थे और मम्मी डॉक्टर थीं. वह हाईली एजुकेटेड थीं. मुंबई के एसएनडीटी कॉलेज में मेरी मां पढ़ी थीं. मैं होली फैमिली कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थी. तब अचानक पापा को हार्ट अटैक आया और कूपर हॉस्पिटल में देहांत हो गया. मम्मी बहुत रोईं.'


उन्होंने कहा, 'पापा की याद में मम्मी थोड़ा मेंटली डिस्चार्ज हो गई थीं और कुछ परिवारवालों ने भी उन्हें परेशान किया. नाना-नानी सब मुंबई में रहते थे, लेकिन फिर भी कोई पूछने नहीं आता था क्योंकि मेरी मम्मी ने लव-मैरिज की थी. पापा गुजराती थे और मम्मी पंजाबी थीं. थोड़े समय के लिए हम गुजरात शिफ्ट हुए और फिर मंबई वापस आ गए. मुंबई में मम्मी ने फ्लैट लिया और जैसे ही वहां शिफ्ट हुए तो मम्मी पूरी तरह से मेंटली डिस्चार्ज हो गईं. पागलों की तरह सड़कों पर घूमना, न खुद का और न ही बच्चों का सुधबुध. कपड़े पहनने का सुधबुध नहीं. पढ़ाई हमारी बंद हो गई थी और मैंने अपने नाना-नानी, मामा-मौसी को भी बताया लेकिन वो नहीं देखते थे कि उनकी बेटी पागल हो गई है. वो लोग मेरी मम्मी से नफरत करते थे तो इस तरह दिन बिताए हैं.'


हिमांगी सखी बचपन की ये दर्दनाक कहानी सुनाते हुए बेहद भावुक हो गईं. उन्होंने बताया कि वह और उनकी छोटी बहन पेट की आग बुझाने के लिए सड़क पर पड़ा झूठा खाना खाते थे. पड़ोसी न्यूज पेपर से फेंक कर खाना देते थे. उनके पड़ोस में पंजाबी फैमिली रहती थी तो उनके बेटे ने उनका शारीरिक शोषण बहुत किया. उन्होंने कहा, 'छोटी उम्र में मेरा रेप पर रेप किया. लड़का शारीरिक शोषण करता था और उसके माता-पिता पैसों से शोषण और मानसिक शोषण करते थे. जैसे फ्री का नौकर आ गया है, कि दो रोटी ही खाएगा, बर्तन धुलवाते थे.'


उन्होंने आगे बताया कि एक समय उनकी मां चल बसी, तो उन्हें नहीं पता था. जब उनकी बहन ने उन्हें बताया कि मां नहीं रही तो उन्होंने कहा कि उन्हें एक सपना आया था और उनकी मां ने उनसे कहा कि मैं जा रही हूं अपना ख्याल रखना. हिमांगी सखी ने कहा कि जब ये हुआ तो मैंने कहा कि अच्छा हुआ मां को उठा लिया क्योंकि जैसा जीवन वो जी रही थीं वो वह नहीं देख सकती थीं. वो जीवन भी क्या जीवन जो न अपना सुधबुध हो और न ही बच्चों का. यह बताते हुए हिमांगी सखी बेहद दुखी हो गईं और वह रोने लगीं.


 


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