प्रयागराज महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करने आए करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ में भगदड़ मच गई. बुधवार (29 जनवरी, 2025) को तड़के सुबह हुए इस हादसे में कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया. हादसे की एक चश्मदीद ने आंखों देखा हाल बताया है कि किस तरह 20 लोग एक शख्स पर गिर गए. यह महिला अपने परिवार के साथ मेघालय से महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए आई थीं. महिला ने रोते हुए बताया कि हादसे के तीन घंटे बाद पुलिस पहुंची थी.
महिला पूरी घटना बताते हुए बिलख-बिलख कर रो रही थी और वह काफी घबराई हुई नजर आ रही थीं. उन्होंने आंखों देखा हाल बताते हुए कहा, '20 आदमी उसके ऊपर गिर गए. उसको डाबटीज है... डायबटीज निल हो गया, हाई ब्लड प्रेशर भी है और तीन घंटे बाद पुलिस आई. हम मेघालय से आए हैं. उधर बहुत आदमी दब गए.'
मध्य प्रदेश के छतरपुर से आए जयप्रकाश स्वामी की मां भी इस भगदड़ में दब गई थीं, जिन्हें उन्होंने बड़ी मशक्कत से बाहर निकाला. उन्होंने कहा, 'रात को 1 से सवा एक बजे के बीच भीड़ उमड़ी और लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे. उसी में हम सब लोग दब गए. हमने और लोगों को तो निकाल लिया, लेकिन मां को नहीं निकाल पाए. फिर जब उनकी निकाला तो उनकी सांसें चल रही थीं. आधे-पौने घंटे बाद पुलिस और एंबुलेंस आई. वहां पर न तो कोई पुलिस थी कि लोगों को अलग कर सके.
बेगूसराय से आई बुजुर्ग महिला बदामा देवी ने कहा, 'बेटवा ई जनम में तो ऐसा मौका नाहीं मिली. यही खातिर हम इतनी दूर से गंगा माई में स्नान करय खातिर आई रहे. हमका का पता कि इहां इतना बड़ी अनहोनी होई जाई. लगत है गंगा माई की इहै मंजूर रहन.'
झारखंड के पलामू से आए राम सुमिरन ने भगदड़ की घटना को लेकर कहा कि 144 साल बाद यह पुण्य स्नान का अवसर आया है जिसे कोई भी गंवाना नहीं चाहता. यही वजह है कि देश दुनिया से लोग संगम के किनारे खुले आसमान के नीचे डेरा डालकर पड़े थे. तभी अवरोधक तोड़कर आए जनसैलाब के नीचे वे दब गए. उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर फैले जूते चप्पल और लोगों के कपड़े खुद ही घटना की सच्चाई बयां करते हैं. घटना में कई महिलाओं समेत अनेक लोग घायल हो गए जिन्हें सुरक्षाकर्मी एंबुलेंस में लेकर अस्पताल गए.