Gyanvapi Case: वाराणसी में लगा संतों का जमावड़ा, ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा का मांगा अधिकार
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी को लेकर देशभर के प्रमुख अखाड़ों के महामंडलेश्वर वाराणसी पहुंचे. महामंडलेश्वरों ने इस दौरान बैठक कर कई प्रस्ताव पारित किए हैं.
Gyanvapi Case: देश के विभिन्न स्थानों से सन्त-महात्मा अपने शिष्यों एवं भक्तों के साथ ज्ञानवापी (Gyanvapi) की यात्रा पर आयेंगे और काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) का पूजन करेंगे. ये घोषणा आज देश भर से काशी में पधारे अलग-अलग अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने की. अखिल भारतीय सन्त समिति के बुलावे पर काशी ज्ञानवापी और हिन्दू धर्म से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए अलग-अलग अखाड़ों के देश के विभिन्न स्थानों से कई महामंडलेश्वर आज सिद्धगिरि बाग स्थित ब्रह्मनिवास आश्रम पर इकट्ठा हुए थे. बैठक में शास्त्रीय मार्गदर्शन के लिए श्रीकाशी विद्वतपरिषद को भी आमन्त्रित किया गया था.
इस बैठक में कई प्रस्ताव पारित हुए. इन प्रस्तावों में कहा गया कि देश भर के सन्त भक्तों एवं शिष्यों के साथ पूजा के लिए काशी ज्ञानवापी की यात्रा करे और ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा का हिन्दुओं को अधिकार मिले. भारत खण्डन-मण्डन की परम्परा का देश है. ईशनिन्दा के नाम पर हो रही हत्याएं बन्द हों. इस सम्बन्ध में कठोर कानून बनाया जाए. इस अवसर पर मांस–मदिरा मुक्त काशी के अभियान के लिए ब्रह्म सेना के संस्थापक डॉ. सन्तोष ओझा को महामंडलेश्वरों ने जिम्मेदारी दी.
बैठक में जो अन्य प्रस्ताव पास हुए वे इस प्रकार हैं-
- देश के विभिन्न पञ्चांगों में एकरूपता हो. टीवी चैनलों पर मनमानी व्याख्या बन्द हो. इस सम्बन्ध में श्रीकाशी विद्वत परिषद पहल करे.
- काशी हिन्दूओं की धार्मिक राजधानी है, काशी को मांस-मदिरा मुक्तक्षेत्र घोषित किया जाए.
- भारत वसुधैव कुटुम्बकम की परम्परा का देश है. भारत को मातृभूमि मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र का सम्मानित अंग है.
- देश में किसी नए संविधान की आवश्यकता नहीं है. वर्तमान संविधान को ही सम्पूर्णता में लागू किया जाए. इसका विरोध करने वालों पर राष्ट्रद्रोह की कार्रवाई की जाए.
- एक धारा में चलें हिन्दू समाज के सभी संगठन. हिन्दुओं के लिए तैयार हो युगनुकूल आचार संहिता.
- जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक है वहां वर्ष में एक बार वरिष्ठ सन्तों का प्रवास होगा. देश का समस्त सन्त समाज उनके साथ है. सन्तों के मुखर होने से ही हिन्दू समाज की समस्याओं का समाधान होगा.
- अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर सन्त हिन्दुओं की पीड़ा उठाएं. सन्तों के संग-संग विद्वत परिषद की भी उपस्थिति हो.
- रामदेव के हाथों में वैदिक शिक्षा बोर्ड की कमान सन्तों को स्वीकार नहीं. रामदेव वेदांगों के विरोधी हैं. वैदिक शिक्षा बोर्ड सन्तों के मार्गदर्शन में चले.
इस बैठक में स्वामी जीतेंद्रानन्द सरस्वती, महामन्त्री, अखिल भारतीय सन्त समिति के अलावा ये संत पहुंचे-
- महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती, मैनपुरी
- महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती, मुम्बई
- सुमेरुपीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती, काशी
- महामंडलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्य पुरी, परमार्थ साधक संघ
- प्रो. रामनारायण द्विवेदी, महामंत्री, श्रीकाशी विद्वत परिषद
- महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि, हरिद्वार
- महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द भारती, रोहतक, हरियाणा
- महामंडलेश्वर स्वामी चन्द्रेश्वर गिरि, ललितपुर
- महामंडलेश्वर स्वामी श्याम चैतन्य पुरी, उज्जैन
- महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती, वेदान्त सत्संग आश्रम, लखनऊ
- स्वामी बालकदास, पातालपुरी मठ, काशी
- महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द, घिस्सा पन्थ, हिसार
- स्वामी विमलदेव आश्रम, अध्यक्ष, अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी महासभा, आदि शामिल हुए.
बता दें कि, ज्ञानवापी केस (Gyanvapi Masjid Case) को लेकर 18 अगस्त से वाराणसी की अदालत (Varanasi Court) में एक बार फिर से सुनवाई शुरू होने वाली है. वाराणसी जिला जज की अदालत इस मामले की पोषणीयता को लेकर फैसला सुनाएगी.
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