Mahant Kaushal Giri: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव टरकपुरा की 13 वर्षीय नाबालिग लड़की राखी को महाकुंभ में जूना अखाड़े की दीक्षा लेकर साध्वी बना दिया गया. इस मामले में जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरी पर आरोप लगा कि उन्होंने इस नाबालिग को साध्वी के रूप में स्वीकार कर दान के रूप में प्राप्त किया. इस गंभीर घटना के बाद जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरी को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया है.


जानकारी के अनुसार कौशल गिरी महाराज की उम्र करीब 38 साल है और उनका जन्म लटूरी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम बंगाली रघुवंशी था और मां का नाम आशा देवी था जिनका अब निधन हो चुका है. कौशल गिरी बचपन से ही पूजा पाठ में रुचि रखते थे और 6 साल की उम्र से ही धार्मिक गतिविधियों में जुड़ गए थे. वह गांव के मंदिर में अपने गुरु नरसिंह गिरी के साथ पूजा करते थे. कुछ समय बाद उन्होंने अपने घर, परिवार और गांव को छोड़ दिया. हालांकि गांव के लोग आज भी उनके प्रति श्रद्धा रखते हैं, लेकिन उनके बारे में खास जानकारी नहीं मिल सकी है.


पिता की मृत्यु के बाद भी घर नहीं लौटे कौशल गिरी 


कौशल गिरी ने अपने परिवार से भी दूरी बना ली थी. उनके भाई बंटी के अनुसार उन्होंने पिता की मृत्यु के बाद भी घर लौटकर कोई दिखावा नहीं किया और परिवार से कोई संबंध नहीं रखा. गांव के मंदिर में रहने वाले महंत रामगिरी बाबा ने बताया कि कौशल गिरी महाराज जून 2024 में आखिरी बार मंदिर आए थे और रात भर वहां रुके थे. पिछले 10 सालों में वह कुछ बार ही मंदिर आए, लेकिन उनका गांव से कोई गहरा लगाव नहीं रहा.


रिश्ते के चाचा रमेश सिंह के अनुसार कौशल गिरी कभी-कभी मंदिर आते हैं और फिर बिना किसी से बातचीत किए वापस चले जाते हैं.बताया जाता है कि उनके द्वारा सात दिन तक लगातार खड़े होकर पूजा अर्चना करने की घटना भी गांव में चर्चित रही है.


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