Mahant RamRatan: 'कौन से मुसलमानों पर महाकुंभ में लगे बैन और किन पर नहीं', इस महंत ने बता दिया साफ-साफ, छेड़ दी हिंदू राष्ट्र की मांग
Amrit Snan: महंत रामरतन श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव ने शाही स्नान, सनातन धर्म और कुंभ मेला से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय दी. उन्होंने धर्म और राजनीति के कई पहलुओं पर बेबाक विचार व्यक्त किए
Kumbh Mela 2025: श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रामरतन ने महाकुंभ में शाही स्नान को लेकर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि "शाही स्नान" शब्द अब पुराना हो चुका है और इसे बदलकर "अमृत स्नान" कर दिया गया है. उनका मानना है कि गंगा का पानी पवित्र और अमृत तुल्य है और "अमृत स्नान" शब्द इसका सही प्रतीक है. इससे शुद्धता का संदेश जाता है जो सनातन धर्म की महिमा को दर्शाता है.
महंत रामरतन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी का हम सम्मान करते हैं और उनकी ओर से कही गई बातों में कोई गलती नहीं है. महंत रामरतन का ये भी कहना था कि जहां भी मस्जिदों में मंदिर के प्रतीक मिलते हैं हमें उनका सम्मान करना चाहिए.
सनातन धर्म के भविष्य पर महंत रामरतन की राय
महंत रामरतन ने सनातन धर्म के भविष्य को लेकर कहा कि ये कभी खतरे में नहीं हो सकता. उनका मानना था कि जब भी धर्म पर संकट आता है तब कोई न कोई अवतार का जन्म होता है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सक्षम नेता बताया और कहा कि उनके नेतृत्व में सनातन धर्म हमेशा सुरक्षित रहेगा.
कुंभ मेला और मुसलमानों पर महंत रामरतन की राय
कुंभ मेला में मुसलमानों की भागीदारी पर महंत रामरतन ने कहा कि उन्हें आम मुसलमानों से कोई समस्या नहीं है, लेकिन जिन मुसलमानों द्वारा मेला क्षेत्रों में गंदगी फैलाई जाती है उनसे उन्हें आपत्ति है. उनका कहना था कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए न कि सामान्य मुसलमानों के खिलाफ. वहीं अगर मुस्लिम सरकारी अधिकारी कुंभ में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं तो उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.
गंगा के पानी की पवित्रता और केजरीवाल के वादे
महंत रामरतन ने गंगा के पानी को अमृत बताते हुए कहा कि गंगा में स्नान से पाप धुल जाते हैं. उनका कहना था कि गंगा का पानी हमेशा स्नान योग्य होता है और ये हिंदू धर्म का अहम हिस्सा है. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये मासिक देने के वादे को एक राजनीतिक चाल बताया और इसे झूठा करार दिया.
कुंभ में हिंदू राष्ट्र के प्रस्ताव पर महंत रामरतन की प्रतिक्रिया
कुंभ मेला में हिंदू राष्ट्र के प्रस्ताव को लेकर महंत रामरतन ने कहा कि ऐसे प्रस्ताव की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने इसे राजनीति का हिस्सा मानते हुए कहा कि हिंदू धर्म की असल पहचान उसके आचरण और भक्ति में है. इसे राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
विपक्ष की राजनीति पर महंत रामरतन की टिप्पणी
महंत रामरतन ने विपक्ष की बयानबाजी पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम हमेशा सरकार के कामों की आलोचना करना होता है. फिर भी उन्होंने ये साफ किया कि यदि अखिलेश यादव कुंभ में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा क्योंकि ये एक धार्मिक आयोजन है और सभी नेताओं का स्वागत किया जाता है.
हिंसा पर महंत रामरतन की कड़ी आलोचना
संभल हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को समाजवादी पार्टी द्वारा दी गई मदद पर महंत रामरतन ने कड़ी आलोचना की. उनका कहना था कि अगर अखिलेश यादव ने हिंदू समुदाय के लिए भी ऐसा कोई कदम उठाया होता तो ये वोट बैंक की राजनीति से बाहर होता. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी केवल मुस्लिम वोटों के लिए खड़ी होती है, लेकिन जब हिंदू समुदाय की बात आती है तो वह मौन रहते हैं.
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