Kumbh Mela 2025: महंत रविंद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने मंगलवार (31 दिसंबर) को आईएएनएस से विशेष बातचीत में सनातन धर्म, कुंभ मेला, गंगा की पवित्रता और राजनीति से जुड़े कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी. उनके विचार धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से काफी अहम माने गए.


महंत रविंद्र पुरी ने शाही स्नान के मुद्दे पर अपनी राय दी और कहा कि इस शब्द को बदलकर 'अमृत स्नान' किया गया है जो ज्यादा उपयुक्त है. उन्होंने बताया कि 'अमृत स्नान' गंगा के पानी की पवित्रता और शुद्धता को दर्शाता है जो सनातन धर्म की महिमा का प्रतीक है. उनका मानना था कि हमारी परंपराओं में बदलाव लाना जरूरी नहीं होता, लेकिन शब्दों का सही प्रयोग किया जाना चाहिए.


मोहन भागवत का समर्थन और सनातन धर्म की सुरक्षा


महंत रविंद्र पुरी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि वह सनातन धर्म के सच्चे रक्षक हैं. उनका ये कहना था कि मोहन भागवत के बयान का उद्देश्य कभी भी हिंदू-मुसलमान विवाद को बढ़ावा देना नहीं था बल्कि धर्म और संस्कृति की रक्षा करना था.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर विश्वास


महंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को लेकर विश्वास जताया और कहा कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद सनातन धर्म को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में हिंदू समाज पूरी तरह से एकजुट हो चुका है और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.


महंत रविंद्र पुरी ने कुंभ मेला और गंगा के पानी की शुद्धता पर भी जोर दिया. उनका मानना था कि गंगा का पानी अमृत के समान है और उसे पीने योग्य बनाने के लिए सरकार और संतों का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कुंभ मेला को स्वच्छ और सुंदर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि सनातन संस्कृति की शुद्धता और महत्व को सही ढंग से प्रस्तुत किया जा सके.


हिंदू राष्ट्र और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर महंत रविंद्र पुरी के विचार


महंत रविंद्र पुरी ने हिंदू राष्ट्र के विचार को सशक्त बताया और कहा कि भारत अब हिंदू राष्ट्र बन चुका है ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और भी मजबूत हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने मंदिरों में नतमस्तक होकर आस्था का प्रमाण दिया है जो पहले कभी नहीं हुआ.


महंत ने कुंभ मेला क्षेत्र में मुसलमानों के प्रवेश के बारे में भी बात की और कहा कि उनके खिलाफ कोई भी प्रतिबंध नहीं है बशर्ते वे हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक कामों का सम्मान करते हुए वहां आएं. उनका कहना था कि धार्मिक कार्यों में शांति और सद्भावन बनाए रखने के लिए हम किसी भी तरह के सांप्रदायिक तनाव से बचने की कोशिश करेंगे.


सनातन बोर्ड के गठन की जरूरत


महंत ने सनातन बोर्ड की आवश्यकता को लेकर भी बयान दिया और कहा कि सनातन समुदाय को वक्फ बोर्ड जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए. उनका प्रस्ताव था कि सनातन बोर्ड का गठन किया जाए ताकि जितनी जमीन वक्फ बोर्ड को मिली है उसका 80 प्रतिशत हिस्सा सनातन बोर्ड को दिया जाए.


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