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Maharashtra Masjid: मस्जिद में एंट्री बैन किए जाने के खिलाफ बॉम्बे HC पहुंचा मुस्लिम पक्ष, हिंदू समिति का दावा- मंदिर जैसी है बनावट
Maharashtra Masjid News: याचिकाकर्ता ट्रस्ट के वकील एस.एस.काजी ने कहा कि 11 जुलाई को कलेक्टर ने मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध का आदेश सुनाया था और अब मस्जिद में सिर्फ दो लोगों को ही नमाज पढ़ने की इजाजत है.
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Jalgaon Mosuqe Controversy: मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध के एक मामले में जुमा मस्जिद ट्रस्ट कमिटी ने बॉम्ब हाईकोर्ट का रुख किया है. महाराष्ट्र के जलगांव जिले की मस्जिद को लेकर एक विवाद पर कलेक्टर ने मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. कलेक्टर ने जिस शिकायत पर यह फैसला सुनाया है, उसमें दावा किया गया कि मस्जिद की बनावट मंदिर जैसी है. अब कोर्ट इस मामले में 18 जुलाई को सुनवाई करेगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, ट्रस्ट के प्रमुख अलताफ खान ने अपनी याचिका में कलेक्टर के आदेश को पक्षपातपूर्ण और गैरकानूनी बताया है. याचिकाकर्ता ट्रस्ट के वकील एस.एस.काजी ने कहा कि 11 जुलाई को कलेक्टर ने मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध का आदेश सुनाते हुए एरनाडोल म्युनुसिपल काउंसिल के चीफ ऑफिसर को मस्जिद की चाबी सौंप दी थी. उनके आदेश के अनुसार, अब सिर्फ दो लोगों को ही वहां जाकर नमाज पढने की इजाजत है.
क्या है पूरा मामला?
याचिका के मुताबिक, एरनाडोल तालुका में पांडव संघर्ष समिति ने मई में इस संबंध में कलेक्टर के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया कि स्मारक की बनावट मंदिर जैसी प्रतीत होती है इसलिए इससे मुस्लिम समुदाय का कब्जा खाली कराया जाना चाहिए. समिति की तरफ से स्मारक के ढांचे को गैरकानूनी बताते हुए इसे गिराने और यहां पर चल रहे मदरसे को बंद कराने की भी मांग की गई थी. इसके बाद कलेक्टर की तरफ से 14 जून को 27 जून के लिए सुनवाई की तारीख तय की गई, लेकिन कलेक्टर के व्यस्त होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी.
ट्रस्ट ने क्यों दी कलेक्टर के आदेश को चुनौती?
याचिका में कहा गया कि बाद की तारीख पर ट्रस्ट ने शिकायत पर गौर करने और अपना जवाब दाखिल करने के लिए कलेक्टर से समय मांगा, लेकिन उन्हें इसके लिए समय नहीं दिया गया और जलगांव के कलेक्टर ने कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर के सेक्शन 144 और 145 के तहत 11 जुलाई को फैसला सुनाते हुए मस्जिद में प्रवेश पर बैन लगा दिया. ट्रस्ट ने कलेक्टर के आदेश को पक्षपातपूर्ण और गैरकानूनी बताते हुए कहा कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया. याचिकाकर्ता ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इसे खारिज करने की मांग की है.
महाराष्ट्र सरकार मस्जिद को घोषित कर चुकी है ऐतिहासिक स्मारक
वहीं, ट्रस्ट का दावा है कि यह मस्जिद दशकों पुरानी है और महाराष्ट्र सरकार इसको ऐतिहासिक स्मारक के रूप में घोषित कर चुकी है. उन्होंने कहा कि इसे संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में शामिल किया गया है. ट्रस्ट ने यह भी कहा कि अभी तक इसे लेकर आर्कियोलॉजिकल विभाग या राज्य सरकार की तरफ से कोई आपत्ति नहीं जताई गई है.
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