महाराष्ट्रः 9 साल के बच्चे ने अपने स्वर्गवासी पिता पर लिखा ऐसा खत कि टीचर के निकल आए आंसू
9 साल का मंगेश अपनी दिव्यांग मां के साथ एक छोटे से घर में रहता है. दिव्यांग मां को मिलने वाली 600 रुपए की पेंशन से घर चलता है. मंगेश और उसके दिव्यांग मां मिलकर अपने थोड़े से खेत में खेती भी करते हैं.
मुंबईः किसी के सिर से पिता का साया उठ जाए तो उस दर्द को बयां नहीं किया जा सकता और जब किसी 9 साल के बच्चे के ऊपर से पिता का साया उठ जाए और दिव्यांग मां की जिम्मेदारी भी आ जाए तो उसकी जिंदगी मैं दर्द के साथ-साथ चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं. इसी दर्द को और अपने जिंदगी की नई चुनौतियों को एक 9 साल के बच्चे ने निबंध के माध्यम से दुनिया के सामने रखी. इस निबंध को जिस जिस ने भी पड़ा उसके आंखों में आंसू आ गए.
घटना महाराष्ट्र के बीड़ जिले के आष्टी तालुका के अंतर्गत आने वाले वालकेवाड़ी गांव में जिला परिषद प्राथमिक स्कूल की है. पहली से चौथी कक्षा तक चलने वाली इस बस्ती स्कूल में कुल 20 बच्चे पढ़ते हैं और इन 20 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दो शिक्षिकाओं पर है.
सावित्रीबाई फुले जयंती के अवसर पर स्कूल की शिक्षिका नजमा शेख ने सभी बच्चों को 'मेरे पापा' इस विषय पर निबंध लिखने को कहा था. सभी बच्चों ने अपने पिता के बारे में अच्छी अच्छी बातें लिखी.
कुछ बच्चों ने ऐसी बातें लिखी जिन्हें पढ़कर हंसी भी आई पर एक बच्चे ने ऐसा निबंध लिख दिया जिसे पढ़कर कोई अपने आंसू नहीं रोक पा रहा है. 9 साल की मंगेश वालके नाम के बच्चे ने 'मेरे पापा' विषय पर निबंध लिखा.
मंगेश का मराठी में लिखा हुआ निबंध कुछ इस तरह है
मेरा नाम मंगेश परमेश्वर है. मेरे पापा का नाम परमेश्वर वालके था. मेरे पापा को टीवी की बीमारी हुई थी इसलिए मेरी मां ने मुझे मेरे मामा के गांव भेज दिया था. मेरे पापा मर गए. मेरे पापा मजदूरी का काम करते थे. मेरे पापा मेरे लिए खाने की चीजें लाते थे. मेरे लिए कॉपी कलम लेकर आते थे. मुझे बहुत प्यार करते थे. मैं भी मेरे पापा को बहुत प्यार करता था. पर 18 दिसंबर को मेरे पापा मर गए, मेरी मां उस दिन बहुत रोई.
मैं भी उस दिन बहुत रोया. उस दिन मेरे घर पर बहुत मेहमान आए थे. मेरे पापा बहुत दयालु थे. मेरे पापा कहते थे कि तुम पढ़ लिखकर बड़े साहब बन जाना. पापा घर पर नहीं है तो कोई किसी भी तरह की मदद नहीं करता. एक बार मैंने गहरे पानी में से अपनी गाय को निकाला था. मुझे मेरे पापा की बहुत याद आती है. मुझे और मेरी मां को रात के समय चोरों के आ जाने का डर लगता है. पापा तुम जल्दी वापस आ जाओ.
निबंध पढ़ रोने लगी शिक्षिका
नजमा शेख नाम की शिक्षिका ने जब इस निबंध को पढ़ा तो वह अपने आंसू नहीं रोक पाई. टीचर को अंदाजा हो गया कि मंगेश को परिवार की जिम्मेदारी के साथ साथ उसकी मां की सुरक्षा को लेकर भी चिंता है. टीचर नज़मा शेख ने इस निबंध को अपने दोस्तों के व्हाट्सऐप ग्रुप में शेयर किया और बच्चे के लिए मदद मांगी. जिस जिस ने यह निबंध पड़ा वह अपने आंसू नहीं रोक पाया और देखते देखते हैं निबंध वायरल हो गया.
9 साल का मंगेश अपनी दिव्यांग मां के साथ एक छोटे से घर में रहता है. दिव्यांग मां को मिलने वाली 600 रुपए की पेंशन से घर चलता है. मंगेश और उसके दिव्यांग मां मिलकर अपने थोड़े से खेत में खेती भी करते हैं.
मंगेश पढ़ने में बहुत ही तेज तर्रार है. इतना ही नहीं मंगेश शिवाजी महाराज का स्तुति गान बड़े ही कलात्मक तरीके से करता है. निबंध के वायरल होने के बाद अब मंगेश के लिए मदद के हाथ भी बढ़ रहे हैं.
मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन
महाराष्ट्र के सामाजिक कल्याण मंत्री धनंजय मुंडे तक भी यह बात पहुंच गई जिसके बाद धनंजय मुंडे ने मंगेश को मदद का आश्वासन दिया है.
निबंध के वायरल होने से कुछ लोग स्कूल पहुंचकर अर्थिक मदद दे रहे है तो कुछ लोग स्कूल में फोन कर बैंक एकाउंट की डिटेल लेकर मदद कर रहे है. 9 साल के मंगेश का कहना है कि वो पढ़ाई कर बड़ा अधिकारी बनना चाहता है और पापा की तस्वीर के सामने बड़ा साहब बनकर खड़ा होना चाहता है.