मुंबई: क्या एनसीपी में बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले अजित पवार को 70 हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में क्लीन चिट मिल गई है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज तेजी से वायरल हो रहा है. इसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि अजित पवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने क्लीन चिट दे दी है.


वायरल हो रहे दस्तावेज पर एसीबी ने कहा कि अजित पवार को कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है. एसीबी ने कहा, ''एसीबी द्वारा बंद किए गए मामलों में से कोई भी अजीत पवार से संबंधित नहीं है. बंद मामले नियमित मामले हैं. एसीबी द्वारा कोई राजनीतिक मामला बंद नहीं किया गया.'' अधिकारी ने कहा, ''महाराष्ट्र एसीबी ने सिंचाई परियोजनाओं के नौ मामलों की जांच समाप्त की है, कोई भी मामला अजित पवार से संबंधित नहीं है.''






एसीबी अधिकारियों ने कहा कि 2013 में हुए सिंचाई घोटाले से जुड़े ऐसे किसी भी मामले को बंद नहीं किया गया है जिनमें कथित तौर पर अजित पवार का नाम है.


बता दें कि साल 2009 से लेकर 2014 तक अजित पवार कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे थे. इसी दौरान अजित पवार पर सिंचाई घोटाले का आरोप लगा था. इस घोटाले की जांच एसीबी कर रहा है. अब जब अजित पवार ने एनसीपी में बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली तो विरोधी दलों का दावा है कि अजित पवार ने भ्रष्टाचार केस की जांच से बचने के लिए यह कदम उठाया है.


शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शनिवार (23 नवंबर) को सभी को चौंकाते हुए बीजेपी को समर्थन दे दिया था और उन्होंने उसी दिन सुबह करीब साढ़े सात बजे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसके बाद से एनसीपी का एक धड़ा उन्हें मनाने की कोशिश में जुटा है.


अजित पवार ने ऐसे समय में बीजेपी को समर्थन दिया था जब कुछ घंटे पहले तक कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी. तीनों दलों की बैठक में अजित पवार भी मौजूद थे लेकिन अचानक उन्होंने बीजेपी को समर्थन देने का एलान कर दिया.


अजित पवार के फैसले को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नीजि फैसला बताया. साथ ही शरद पवार ने कहा कि हम कांग्रेस और शिवसेना के साथ सरकार बनाएंगे. तीनों दलों ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.


ये कहना गलत है कि अजित पवार के विद्रोह के पीछे मैं हूं- शरद पवार