महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सी वोटर के फाउंडर यशवंत देशमुख ने चौंकाने वाले आंकड़े दिए हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए या महायुति गठबंधन और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए वोट शेयर का आंकड़ा करीब-करीब बराबर दिया है. वहीं, सीटों में भी सिर्फ 8 का ही अंतर है, जबकि 61 सीटों पर क्लोज फाइट बताई है, जिन पर महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे बहुत ज्यादा निर्भर करेंगे.
यशवंत देशमुख का कहना है कि एनडीए गठबंधन का राज्य में वोट शेयर 41 फीसदी रह सकता है, जबकि विपक्षी गठबंधन INDIA का वोट शेयर 40 फीसदी और अन्य के लिए 19 फीसदी वोट शेयर का आंकड़ा दिया है.
महाराष्ट्र वोट शेयर
NDA- 41%
INDIA- 40%
OTH- 19%
राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर जीत की बात करें तो यशवंत देशमुख ने 112 सीटों पर एनडीए की जीत की संभावना जताई है, जबकि INDIA के खाते में 104 सीटें जाने का अनुमान जताया है. वहीं, 61 सीटों पर क्लोज फाइट हो सकती है.
NDA- 112
INDIA- 104
OTH- 11
Close Fight- 61
यशवंत देशमुख ने कहा कि महाराष्ट्र के पांच हिस्से पांच राज्य की तरह हैं. बिहेव करते हैं. राज्य के दो हिस्से में एनडीए और दो हिस्सों में विपक्ष की बड़ी लीड है और एक में कांटे की टक्कर है इसलिए राज्य के स्तर पर लग रहा है कि वोट शेयर में बहुत बड़ा गैप नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य के लेवल पर जो बहुत क्लोज फाइट दिख रही है, वो क्षेत्र के हिसाब से उतनी क्लोज नहीं है. मुंबई, नॉर्थ महाराष्ट्र, कोंकण में एनडीए की वोट शेयर में बहुत बड़ी लीड है. पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में विपक्ष की लीड बहुत बड़ी है. सिर्फ विदर्भ एक जगह है, जहां पर वोट शेयर के मामले में मुकाबला कांटे का लग रहा है. विदर्भ से ही डिसाइड हो जाएगा कि सबसे बड़ी पार्टी कौन बन रहा है और किस गठबंधन को मैजोरिटी पार हो रही है या नहीं.
अगर ये क्लोज फाइट वाली सीटें एक तरफ चली गईं, एनडीए या एमवीए को तो जीत डिसाइड हो जाएगी, लेकिन अगर ये सीटें बंट गईं और 30-30 दोनों तरफ गईं तो फिर रिजल्ट तो फिर फंस जाएगा. यशवंत देशमुख ने कहा कि अगर ये सीटें एकतरफ चली गईं तो किसी एक गठबंधन का फायदा मिलने की संभावना ज्यादा है. अब ये जा सकती हैं कि नहीं ये ही बड़ा सवाल है.
उन्होंने कहा, 'हम जब इस तरह के आकलन करते हैं तो मानकर चलते हैं कि ये मार्जिनल सीटें उसी अनुपात में जाएंगी, जैसे बाकी सीटें गईं. ऐसा होता भी है, लेकिन पिछले 10 सालों में ये रूल काम नहीं कर रहा है और ऐसा देखा गया है कि मार्जिनल सीटें एक तरफ चली जाती हैं. ऐसा जरूरी नहीं है कि जिसका वोट शेयर ज्यादा हो, उधर ये सीटें जाएं. कई बार मार्जिनल सीटें उसकी तरफ भी गईं, जिसका वोट शेयर राज्य के स्तर पर कम हो.'