Maharashtra Assembly Elections 2019 : शरद पवार का राजनीतिक गुरु कौन है?
सियासी सफर की शुरुआत किसने कराई? सियासी गुरू कौन होगा? ये कुछ ऐसे अहम सवाल होते हैं जो अक्सर आपके मन में उठते हैं.
नई दिल्ली: कभी दिल्ली के सियासी गलियारे में तत्कालीन सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच शरद पवार हरदिल अज़ीज और चाणक्य के रूप में जाने जाते रहे हैं. महाराष्ट्र की राजनीति हो या केंद्र की राजनीति एक नाम जो बड़े नेताओं में गिना जाता रहा है वह शरद पवार हैं. तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार उम्र के उस पड़ाव पर है जब अक्सर सियासत से संन्यास की चर्चा जोर पकड़ती रहती है. सियासत में हर दिल छवि का अंदाजा आप कुछ इस तरह लगा लीजिए कि कभी शरद पवार नरेंद्र मोदी के लिए लंच होस्ट कर चुके हैं तो राहुल गांधी, ममता बनर्जी और मायावती के लिए डिनर भी. सत्ता के गलियारे में बताया जाता है कि शरद पवार ही एक ऐसे नेता हैं जिनके संबंध सभी दलों से अच्छे ही रहे हैं.
महाराष्ट्र के सियासत की चर्चा हो और तीन बार के मुख्यमंत्री शरद पवार और एनसीपी की चर्चा करना जरूरी हो जाता है. आप कुछ दशक पीछे चलेंगे तो पता चलेगा कि एक बार इनके पीएम बनने की संभावना बनी थी लेकिन तब पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और उन्हें रक्षामंत्री के पद से संतोष करना पड़ा था. शरद पवार राजनीति में कई दशकों से हैं और अब कुछ सालों से उनका परिवार आ गया है. परंपरागत सीट बारामती पर उनकी बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं.
शरद पवार का जन्म 12 दिसम्बर 1940 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. उनके पिता गोविंदराव पवार बारामती के कृषक सहकारी संघ में काम करते थे.शरद पवार ने पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपनी पढ़ाई पूरी की.
सियासी सफर को कुछ यूं समझिए सियासी सफर की शुरुआत किसने कराई? सियासी गुरू कौन होगा? ये कुछ ऐसे अहम सवाल होते हैं जो अक्सर आपके मन में उठते हैं. बताते हैं कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण को शरद पवार का राजनीतिक गुरु माना जाता है. साल 1967 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बारामती विधान सभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार महाराष्ट्र विधान सभा पहुंचे. सन 1978 में पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में एक गठबंधन सरकार बनाई. इस गठबंधन की वजह से वे पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए.
साल 1983 में पवार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और अपने जीवन में पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता. उन्होंने साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और राज्य की राजनीति में ध्यान केन्द्रित करने के लिए लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया. विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को 288 में से 54 सीटें मिली और शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए.
1987 में शिवसेना के महाराष्ट्र में उभार और कांग्रेस कल्चर को महाराष्ट्र में सशक्त बनाने का कारण बताकर वह फिर कांग्रेस में लौट आए. जून 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण को केंद्रीय वित्त मंत्री बनाने का निर्णय लिया और शरद पवार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए. 04 मार्च 1990 को चुनाव के बाद वह फिर तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. राजीव गांधी की हत्या होने के बाद शरद पवार ने राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा. 26 जून 1991 को वह नरसिंहाराव की सरकार में रक्षा मंत्री बने. 1998 में वह बारामती से लोकसभा का चुनाव जीते. 12वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाया.
कब कांग्रेस से हुए अलग शरद पवार जून 1999 में एक बार फिर पवार की राजनीति ने करवट लिया और वह इटली मूल की सोनिया गांधी का मुद्दा उठाते हुए पीए संगमा, तारिक अनवर के साथ कांग्रेस से अलग हो गए. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन कर लिया. 2004 में शरद पवार की पार्टी एनसीपी यूपीए में शामिल हुई. उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया. 2012 में उन्होंने 2014 का चुनाव न लड़ने का ऐलान किया ताकि युवा चेहरों को मौका मिल सके.
महाराष्ट्र : 2014 के विधानसभा चुनाव का परिणाम
कुल सीटें - 288
बीजेपी – 122 (27.81%)
शिवसेना – 63 (19.35%)
कांग्रेस – 42 (17.95%)
एनसीपी - 41 (17.24%)
सीपीएम – 1 (0.39%)
एमएनएस – 1 (3.15%)
एआईएमआईएम – 2 (0.93%)
एसपी – 1 (0.17%)
राष्ट्रीय समाज पक्ष – 1 (0.49%)
निर्दलीय – 7 (4.71%)
बहुजन विकास अघाडी – 3 (0.62%)
भारिपा बहुजन महासंघ – 1 (0.89%)
वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी के पाले में करीब 27 प्रतिशत तो शिवसेना के करीब 19 प्रतिशत आये. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी करीब करीब महज 17-17 प्रतिशत वोट बटोर सके.
एबीपी न्यूज -सी वोटर ओपिनियल पोल महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें है और बीजेपी और उसके सहयोगियों को में 205 सीटों पर जीत हासिल हो सकती हैं. वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगियों को 55 सीटों पर जीत मिल सकती है. अन्य को 28 सीटें मिलने का अनुमान है. महाराष्ट्र में सबसे बड़ी समस्या पानी और बेरोजगारी है. वहीं, मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़ी पसंद देवेंद्र फडणवीस हैं.