मुंबई: लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन में शामिल करने के लिए नये साथियों की तलाश शुरू कर दी थी. इस सिलसिले में प्रकाश अंबेडकर के 'वंचित बहुजन मोर्चा' को भी गठबंधन में शामिल करने की चर्चा जोरों पर थीं. प्रकाश अंबेडकर से गठबंधन के लिए बातचीत भी हुई लेकिन सिरे नहीं चढ़ पायी.


सूत्रों के मुताबिक प्रकाश अंबेडकर ने एक तिहाई सीटें अपने वंचित बहुजन मोर्चा को दिए जाने की शर्त रखी, जो कांग्रेस और एनसीपी को मंजूर नहीं. इसलिए अब ऐसे किसी गठबंधन की संभावना खत्म हो गई है, और कांग्रेस अपने पुराने सहयोगी दल एनसीपी के साथ गठबंधन बनाकर ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना को चुनौती देने की कोशिश करेगी.


कांग्रेस और एनसीपी से प्रकाश अम्बेडकर की रही है पुरानी अनबन


हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद कांग्रेस और एनसीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, जिसमें से कांग्रेस को सिर्फ एक और एनसीपी को 4 सीटें मिली थीं. गठबंधन न हो पाने की एक बड़ी वजह ये बतायी जा रही है कि वंचित बहुजन मोर्चा के अध्यक्ष प्रकाश अम्बेडकर को हमेशा ये लगता रहा कि शरद पवार ने रामदास अठालवे को दलित होने के नाते ज़्यादा राजनीतिक प्रमोशन दिया ताकि प्रकाश अंबेडकर को महाराष्ट्र की राजनीति में रोका जा सके. सत्रों के मुताबिक कांग्रेस-एनसीपी का समझौता इसलिए भी नहीं हो पाया क्योंकि प्रकाश अम्बेडकर विदर्भ और मराठावाडा के नेता हैं, लेकिन वो सीटें पूरे प्रदेश में मांग रहे हैं.


दूसरा प्रकाश अम्बेडकर इसलिए भी कांग्रेस से नाराज रहते हैं कि जब 90 के दशक में वीपी सिंह ने उन्हें राज्यसभा भेजा और 1996 मे जब उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजने की बात आयी तो कांग्रेस के नेताओ ने इसका विरोध किया. ऐसे मे प्रकाश अम्बेडकर का कांग्रेस और एनसीपी के साथ समझौता होना विधानसभा चुनाव से पहले असंभव सा लग रहा है.


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