महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' पर संग्राम
विधानसभा में अपनी बात कहने के लिये फडणवीस साथ लाय़े सामना अखबार की कुछ कतरनें पढ़कर सुनाने लगे. एनसीपी विधायक धनंजय मुंडे ने कहा कि सदन की कार्रवाई में अखबार में छपी हुई बातों का हवाला नहीं दिया जाना चाहिये.
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन भी आज हंगामेदार रहा. आज हंगामे की वजह शिवसेना का मुखपत्र सामना रहा. जब विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सामना अखबार का हवाला देते हुए सत्ताधारी पक्ष को घेरने की कोशिश की तो शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के सदस्यों ने उसपर आपत्ति जताते हुए हंगामा कर दिया.
विधानसभा में देवेंद्र फडणवीस ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस सरकार में बडा अंतर्विरोध है. अपनी बात कहने के लिये फडणवीस साथ लाय़े सामना अखबार की कुछ कतरनें पढ़कर सुनाने लगे. फडणवीस ने कहा कि ये वही सामना अखबार है जिसमें कभी कहा गया था कि शरद पवार को बकासुर अवॉर्ड दिया जाना चाहिये. इसी अखबार में पवार को महाराष्ट्र का सबसे बडा शत्रु बताया गया था.
फडणवीस के बयान पर विरोधी पक्ष ने आपत्ति जताई और स्पीकर से इस हिस्से को रिकॉर्ड पर से हटाने को कहा. एनसीपी विधायक धनंजय मुंडे ने कहा कि सदन की कार्रवाई में अखबार में छपी हुई बातों का हवाला नहीं दिया जाना चाहिये. शिवसेना के एक विधायक ने फडणवीस के बयान पर एतराज जताते हुए कहा कि फडणवीस ने कुछ वक्त पहले एबीपी माझा को दिये इंटरव्यू में कहा था कि वो सामना नहीं पढ़ते फिर आज सामना का हवाला कैसे दे रहे हैं. इस पर फडणवीस ने जवाब दिया कि उन्होंने सामना पढ़ना शुरू कर दिया है और उस विधायक पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर तुमने मेरे सामना पढ़ने पर आपत्ति जताई तो संजय राउत तुमको मंत्री नहीं बनने देंगे. फडणवीस ने कहा कि शरद पवार उनके लिये आदरणीय हैं और जो बातें वो कह रहे हैं वो सामना में छपीं हैं. इस पर एनसीपी विधायकों ने कहा कि जो व्यकित सदन में नहीं है और अपना पक्ष नहीं रख सकता, उस पर टिप्पणी नहीं होनी चाहिये.
गौरतलब है कि जब महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की गठबंधन सरकार थी और देवेंद्र फडणवीस सीएम थे, तब सामना ने एक विपक्षी पार्टी के जैसी भूमिका अदा की थी. सामना में आये दिन बीजेपी के खिलाफ संपादकीय और लेख छापे जाते थे. उस वक्त फडणवीस ने कहा था कि वे सामना नहीं पढ़ते. विधानसभा का सत्र जिस दिन से शुरू हुआ है तबसे से रोजाना हंगामा हो रहा है. पहले दिन सावरकर के मुद्दे पर हंगामा हुआ जबकि दूसरे दिन किसानों की कर्जमाफी को लेकर सत्ताधारी पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच भिडंत हो गई.
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