सचिन वाजे की कस्टडी की मांग करेगी महाराष्ट्र एटीएस, कई और परते खुलनी हैं बाकी
फिलहाल सचिन वाजे एनआईए की कस्डटी में है. 25 तारीख को सचिन वाजे की एनआईए कस्टडी खत्म होगी. महाराष्ट्र एटीएस के चीफ ने कहा कि जब एनआईए की कस्टडी खत्म होगी तब हम एनआईए की कोर्ट में जाकर वाजे की कस्टडी की मांग करेंगे.
मुंबई: महाराष्ट्र एटीएस अब मनसुख हिरण हत्या मामले में मुख्य आरोपी सचिन वाजे की कस्टडी की मांग करने वाली है. महाराष्ट्र एटीएस चीफ जैयजीत सिंह ने बताया कि 25 तारीख को जब सचिन वाजे की एनआईए कस्टडी ख़त्म होगी तब हम एनआईए कोर्ट में जाकर वाजे की कस्टडी की मांग करेंगे. जैयजीत सिंह ने मंगलवार को मुम्बई में एटीएस के हेडक्वाटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हालांकि, उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने किसी के सवाल नहीं लिए और सिर्फ मराठी में मिली प्रेस नोट को पढ़कर कॉन्फ्रेंस से चले गए.
इस दौरान जैयजीत सिंह ने कहा कि यह मामला जब उनके पास जांच के लिए आया तब उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह पता कर सके कि हत्या कैसे हुई और इसके पीछे कौन-कौन है? इसके बाद टेक्निकल एनालिसिस करके एटीएस ने एक सिम कार्ड ढूंढ निकाला और फिर उसी के सहारे उनके हाथ निलंबित पुलिस कॉन्स्टेबल विनायक शिंदे और क्रिकेट बुकी नरेश गोर तक पहुंच गया.
जांच में पता चला कि जो सिम कार्ड का इस क्राइम में इस्तेमाल हुआ है वो कार्ड गुजरात के किसी कंपनी के नाम पर रजिस्टर है. इस जानकारी के बाद एटीएस की एक टीम ने गुजरात से किशोर ठक्कर नाम के व्यक्ति को डिटेन किया है. आरोप है कि ठक्कर ने इस केस के एक आरोपी नरेश गोर को सिम कार्ड सप्लाई किये थे जो इस मामले के मुख्य आरोपियों विनायक शिंदे और सचिन वाजे द्वारा इस्तेमाल किये गए थे.
सोमवार को एटीएस ने गुजरात के गायत्री ट्रेडर्स के मालिक किशोर ठक्कर को डिटेन किया. ठक्कर ने ही बुकी नरेश को 14 सिम कार्ड सप्लाई किये थे जिनमे से 5 सिम कार्ड इस क्राइम में उपयोग में लाये गए. जांच में पता चला कि ठक्कर ने ये सिम कार्ड अहमदाबाद के बोड़कडेव स्थित वस्त्रापुर स्टोर से अपनी कंपनी के उपयोग के लिए ख़रीदे थे और बाद में इन्हे नरेश गौर को गैरकानूनी तरीके से दे दिए थे. ठक्कर इससे पहले भी कई बार सट्टा बैटिंग में शामिल नरेश गौर को बल्क में सिम कार्ड सप्लाई कर चुका है
एटीएस के सूत्रों ने बताया कि ठक्कर का कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत स्टेटमेंट रिकॉर्ड करवाएगी ताकि यह मामले में कोर्ट में केस और भी मजबूत किया जा सके. जांच में ये पता चला है की सचिन वाजे और विनायक शिंदे ने एजंसियों को भटकाने के लिए ही गुजरात के सिम का इस्तेमाल किया था ताकि उनपर आसानी से किसी का ध्यान न जा सके और इस दौरान उन्हें तमाम सबूत मिटाने का मौका मिल जाए. इसीलिए उन्होंने कच्छ के निवासी और मुंबई से ऑपरेट करने वाले बुकी नरेश गोर को इस काम में लगाया और उसने गुजरात में अपने पुराने सप्लायर से ये सिम लाकर उन्हें दिए. जैयजीत सिंह ने कहा कि हमारी नजर में कई सस्पेक्ट्स हैं पर हम हरकिसीको गिरफ्तार ना करके उनके स्टेटमेंट को सीआरपीएफ की धारा 164 के तहत रिकॉर्ड करवाएंगे ताकि एक केस और स्ट्रांग बनाया जा सके.
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