मुंबई: भले ही RBI और वित्त मंत्रालय ने कोरोना से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए EMI में मोरेटेरियम देने की घोषणा की है लेकिन कुछ बैंक और NBFC अभी भी अपने हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. अब इन्होने एक नई मोडस ऑपरेंडी अपना ली है. इनके प्रतिनिधि नागरिकों को फोन कर रहें हैं और सरकार की ओर से दी गई राहत की गलत और भ्रामक तस्वीर बता लोगों से EMI वसूलने की पूरी कोशिश कर रहें हैं.


ऐसी कई कॉल मुंबई के ग्राहकों को आ रही हैं. जिनमें NBFC के प्रतिनिधि RBI के नोटिफिकेशन का हवाला दे कर झूठी तस्वीर पेश कर बता रहें हैं कि यह सुविधा सबके लिए नहीं है. RBI ने यह सुविधा सिर्फ उन्ही लोगों को दी है जिनकी सैलरी लेट आई है या नहीं आई है बाकियों के लिए नहीं. जिसे यह सुविधा लेनी है उन्हें नियोक्ता से एक प्रूफ लाकर देना होगा की उन्हें सैलरी नहीं मिल रही है या लेट मिलेगी तभी उन्हें यह राहत मिल पायेगी.


27 मार्च को आया था रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन


ऐसे में मुंबई के नागरिक परेशान हैं कि इस लॉकडाउन में सैलरी की प्रूफ कहां से लायें जबकि ये प्रतिनिधि इस प्रूफ को RBI की अनिवार्य शर्त बताकर लोगों को परेशान कर रहें हैं. कई प्रतिनिधि तो इसी तरह बहला फुसला कर कईयों के मोरेटेरियम रिक्वेस्ट रिवर्स करा चुके हैं. और अप्रैल का किश्त भी ले चुके हैं.


कई ग्राहकों के तो इस सुविधा का आवेदन करने के बाद भी दो अप्रैल और पांच अप्रैल की EMI ऑटोमेटिक खाते से कट चुकी है. कईयों के कैश क्रेडिट से ब्याज 31 मार्च को  बैंक वसूल कर चुकी है जबकि रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन 27 मार्च को ही आ गया था.


ब्याज ज्यादा बताकर वसूल रहें हैं किश्त


कुछ बैंकों एवं NBFC के प्रतिनिधि इससे होने वाले ब्याज भार को बढ़ा चढ़ाकर बता कर भी किश्त वसूल रहें हैं. कई ग्राहकों की शिकायत है कि इस सुविधा का आवेदन ईमेल, फोन और ऑनलाइन करने पर भी इन संस्थानों ने EMI भुगतान करने का मैसेज भेज दिया. जिन्होंने आवेदन करने के बाद इस सुविधा के तहत किश्त नहीं भरी उनके ऋण खाते में बाउंस चार्ज लगा उनको भी मेसेज भेज रहें हैं.


फोन पर बाउंस चार्ज एवं किश्त ना भरने की सुविधा के विकल्प सिबिल को रिपोर्ट कर ग्राहकों को डरा देते हैं. ऐसे में मुंबई सहित देश के कई ग्राहक ऐसे मुश्किल वक्त में घबरा कर किश्त दे दे रहें हैं जिससे सरकार की ओर से दी गई राहत बीच में ही रूक जा रही है.


इस सम्बन्ध में आर्थिक विश्लेषक सीए पंकज जायसवाल का कहना है, '' कोरोना महामारी के इस दौर में जब देश के बड़े लीडर भी बोल रहें हैं की अर्थव्यवस्था तो सुधर जाएगी जीवन पहले है, ऐसे में बैकों का यह महाजन रुपी अवतार काफी डरावना है और सरकार की मंशा के विपरीत है.  सरकार ने पहले ही रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR एवं अन्य राहतों से वित्तीय संस्थानों तक तरलता पहुंचाई है ताकि यह जनता तक जा सके, बैंक जानबूझकर इस तरलता को जनता तक न पहुंचा अपने पास रोक रहें हैं. यह एक भ्रष्ट प्रैक्टिस की श्रेणी में आता है जिसमें सरकार द्वारा इस महा संकट के दौर में दी जा रही सुविधाओं के बीच में ये आ गए हैं सरकार को इस पर संज्ञान ले तुरंत कारवाई करनी चाहिए.''


ये भी पढ़ें-