मुंबई: महाराष्ट्र बीजेपी में इन दिनों कांग्रेस-एनसीपी से टूट कर आनेवाले नेताओं की भीड़ लगी है. ऐसे में बीजेपी के सामने प्रश्न है कि पार्टी में किसको क्या स्थान दिया जाए. बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों से आनेवाले सभी नेताओं को विधानसभा चुनाव का टिकट नही दिया जाएगा और न ही सभी दिग्गज नेताओं को मंत्रिपद मिलेगा. ऐसे में नेताओं की इस भीड को एडजस्ट करने के लिए बीजेपी ने क्या सोचा है ?
मंदा म्हात्रे नवी मुंबई की बेलापुर सीट से बीजेपी की विधायक हैं और इन दिनों नाराज हैं. म्हात्रे की नाराजगी की वजह है कि बीजेपी ने हाल ही में नवी मुंबई से एनसीपी के दिग्गज नेता गणेश नाईक को शामिल कर लिया. म्हात्रे को शंका है कि कहीं पार्टी आनेवाले विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर से टिकट देने के बजाय गणेश नाईक को न दे दे. उनका कहना है कि बेलापुर सीट से वही विधायक हैं और आगे भी वही रहेंगी.
बडे पैमाने पर विपक्षी नेताओं के आ जाने से विपक्ष कमजोर तो हुआ है लेकिन इसके साथ ही बीजेपी के सामने भी 2 सवाल खड़े हो गये हैं. एक कि दूसरी पार्टियों से आये नेताओं को संगठन में कैसे जगह दी जाये और दूसरा कि पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को कैसे समझाया जाये.
हाल ही में कांग्रेस और एनसीपी से टूट कर करीब 20 दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं. इनमें से कुछ सांसद रहे हैं, कुछ विधायक और कुछ मंत्री. बीजेपी से जुडने वाले विपक्षी नेताओं में प्रमुख नाम हैं- राज्य के पूर्व नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटिल, पूर्व मंत्री पदमसिंह पाटिल मधुकर पिचड और सचिन अहिर.
सियासी जानकारों के मुताबिक विपक्ष से आये सभी नेताओं को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया जायेगा और न ही सभी नेता टिकट की अपेक्षा से आये हैं. कुछ को टिकट दिया जायेगा तो कुछ को विधानपरिषद में जगह दी जायेगी. आनेवाले दिनों में विधानपरिषद की करीब 12 सीटें खाली होने वाली हैं. सत्ता आने पर कुछ नेताओं को सरकारी निकायों का प्रमुख बनाया जायेगा जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. कई ऐसे भी लोग हैं जो कि सिर्फ सरकार के करीब रहने के लिये अपनी पार्टी छोड बीजेपी से आ जुड़े हैं ताकि उनके निजी कारोबार में कोई दिक्कत न हो. कुछ अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की फाईल न खुलने के डर से बीजेपी में आ जुड़े हैं. कुछ वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिये बीजेपी से जुड़े हैं.
उधर बीजेपी का कहना है कि दूसरे पार्टियों से आये नेताओं की भीड़ से कोई दिक्कत नहीं होगी. हर किसी को उसकी योगय्ता के मुताबिक जगह मिलेगी. पुराने कार्यकर्ताओं को भी पूरा सम्मान मिलेगा. उधर बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन को लेकर भी अभी तक बात बनी नहीं है. ऐसे में दूसरी पार्टी से आये नेताओं का भविष्य भी बड़ी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि दोनो पार्टियों में गठबंधन होता है या नहीं. महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर अगले महीने चुनाव होने हैं और इसी हफ्ते चुनाव आयोग तारीख का एलान कर देगा.