मुंबईः महाराष्ट्र बीजेपी की कार्यकारिणी में शुक्रवार को बड़ा फेरबदल किया गया. नई कार्यकारिणी में गौर करने वाली बात ये है कि वे सभी नाम जो कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रतिद्वंद्वी समझे जा रहे थे, उन्हें बाहर कर दिया गया है. नई कार्यकारिणी से ये भी पता चलता है कि राज्य बीजेपी में फडणवीस अब भी सबसे ताकतवर नेता बने हुए हैं.
पंकजा मुंडे को नहीं मिली जगह
नई कार्यकारिणी में पंकजा मुंडे को कोई जगह नहीं दी गई है. एकनाथ खडसे, विनोद तावड़े और प्रकाश मेहता को कोई पद देने के बजाय विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. ये पद महत्वहीन माने जाते हैं और इनके पास कोई अधिकार नहीं होते.
इन नेताओं ने हाल के वक्त में सीधे या फिर परोक्ष रूप से देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ टिप्पणियां की थीं. इनमें से खडसे, तावड़े और मुंडे काफी महत्वाकांक्षी नेता माने जा रहे थे. 2014 के विधान सभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस के बतौर मुख्यमंत्री नाम ऐलान होने से पहले एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े भी रेस में बताये जा रहे थे, लेकिन पीएम मोदी ने फडणवीस को चुना.
2019 के चुनाव के वक्त इन नेताओं की फडणवीस के साथ कड़वाहट खुलकर सामने आई थी. बीजेपी ने फडणवीस के लिये चुनौती लगने वाले एकनाथ खडसे और विनोद तावड़े को चुनाव लड़ने का टिकट ही नहीं दिया.पार्टी के प्रमुख गुजराती नेता प्रकाश मेहता का भी टिकट काट दिया गया.
तावड़े-मुंडे को केंद्र में मिल सकता है मौका
पंकजा मुंडे को टिकट तो मिला लेकिन वे अपने ही चचेरे भाई धनंजय मुंडे से चुनाव हार गईं, जो कि एनसीपी के उम्मीदवार थे. अपनी हार से पंकजा मुंडे बेहद नाराज हो गईं. उनका मानना था कि चुनाव के वक्त पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया.
अब ये माना जा रहा है कि पंकजा मुंडे को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी जायेगी. विनोद तावड़े को भी महाराष्ट्र की राजनीति से बाहर कर केंद्र के लिये भेजा जा सकता है. बताया जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें उत्तर मुंबई लोकसभा सीट का टिकट दिया जा सकता है, जहां के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी की उम्र हो चली है.
कायम है फडणवीस का रुतबा
मई में हुए विधान परिषद के चुनाव के वक्त भी फडणवीस की ही चली थी. कयास लगाये गये थे कि तावड़े, खडसे और मुंडे को विधान सभा में जगह नहीं मिली इसलिये उन्हें विधान परिषद में भेजा जायेगा, लेकिन उन्हें टिकट देने के बजाय फडणवीस के करीबी नेताओं को ही पार्टी ने टिकट दे दिया, जिनमें से कुछ दूसरी पार्टियों से लाये गये थे.
इससे ये पता चलता है कि भले ही 2014 की तुलना में 2019 के विधान सभा चुनाव में महाराष्ट्र बीजेपी ने खराब प्रदर्शन किया हो, लेकिन पार्टी में फडणवीस का रुतबा अब भी बरकरार है.
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