मुंबई: मुंबई बीजेपी अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा ने सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर ‘मिशन बिगिन अगैन’ के तहत राज्य में होटल, सैलून की तरह ही मंदिरों को भी खोलने की मांग की थी, लेकिन मुंबई के कई बड़े मंदिर इस मांग के पक्ष में नहीं हैं.
राज्य में पहला कोरोना केस मिलने के साथ ही महाराष्ट्र सरकार की चिंता बढ़ गई थी और कोरोना संकट को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सभी सार्वजनिक और भीड़-भाड़ वाली जगहों को बंद करने का आदेश जारी किया था. इसमें राज्य के कई बड़े धार्मिक स्थलों ने भी सहमति जताते हुए मंदिर बंद करने का फैसला लिया था. मुंबई के कई बड़े मंदिर जैसे की सिद्धिविनायक, मुंबा देवी मंदिर, बाबुलनाथ इत्यादि ने मंदिर के द्वार पर सरकार के अगले आदेश तक ताला लगा दिया था.
लगभग तीन महीने से अधिक का वक़्त गुजर चुका है. उद्धव सरकार ने राज्य में ‘मिशन बिगिन अगेन’ के तहत सरकारी और निजी दफ्तर, वाइन शॉप, सैलून खोलने की इजाजत दी है. 8 तारीख से अब होटल और रेस्टोरेंट भी खोलने के आदेश दे दिए गए है. ऐसे में अब मंदिरों को भी खोलने को लेकर मांग उठी है. मुंबई बीजेपी अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मंदिरों को खोलने की मांग की है.
राज्य के कई बड़े मंदिर इस मांग पर असहमति जता रहे हैं. राज्य सरकार के आदेश के बाद मार्च महीने में बंद किया गया मुंबादेवी मंदिर इस मांग के पक्ष में नहीं है. मंदिर के व्यवस्थापक महेश जाधव का साफ कहना है कि इस पत्र को लेकर उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन यदि लिखा भी गया है तो हम इस पत्र का समर्थन नहीं करते हैं. यदि राज्य सरकार ऐसा कोई फैसला करती है तो हम मंदिर को फिर से खोलने पर विचार कर सकते हैं. लेकिन मंदिरों को खोलने में काफी खतरा है, साथ ही भक्तों के भीड़ को लेकर बहुत तैयारी भी करनी पड़ेगी.
मुंबई के सबसे बड़े मंदिर सिद्धिविनायक के चेयरमैन आदेश बांदेकर भी इस मांग के पक्ष में नहीं है. उन्होंने इस मांग को साफ तौर पर नकार दिया है. आदेश बांदेकर ने कहा कि जब तक महाराष्ट्र सरकार हमसे मंदिर खोलने को नहीं कहती है तब तक वह मंदिर नहीं खोल सकते है.
राज्य में कोरोना के मंडराते संकट को देखते हुए बाबुलनाथ मंदिर की देख-रेख करने वाले जयेश मेहता भी इस मांग को लेकर असहमति जाता रहे हैं. जयेश का कहना है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते मंदिरों को अभी खोलना संभव नहीं है. जयेश मानते हैं कि मंदिरों को खोलना एक बड़ी चुनौती है. श्रावण का पावन महीना शुरू है, यदि मंदिर खोला जाता है तो एक बड़ी चुनौती केवल हमारे लिए ही नहीं बल्कि सरकार के लिए भी होगी. मंदिर में भक्तों की भीड़ होगी तो खतरा भी काफी होगा. हम इसके लिए अभी तैयार नहीं है.
महाराष्ट्र में गहराते कोरोना संकट के बीच मुख्यमंत्री से मंदिरों को खोलने को लेकर उठी मांग पर सभी बड़े मंदिरों के प्रशासन ने असहमति जताई है. मांग भले ही आस्था से जुड़ी है, लेकिन लोगों का स्वस्थ्य भी जरूरी है. ऐसे में मुख्यमंत्री उद्धव क्या फैसला लेते हैं ये देखना एहम होगा.
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