मुंबई: मुंबई में आरे कॉलोनी के 2600 पेड़ काटे जाएंगे. बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं. याचिकाओं में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की तरफ से पेड़ काटने के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी. बीएमसी ने आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड के लिए 2600 पेड़ों को काटने की मंजूरी दी थी.
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने गोरेगांव की आरे कॉलोनी के संबंध में एनजीओ और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से दायर चार याचिकाओं को खारिज कर दिया. गोरेगांव महानगर का प्रमुख हरित क्षेत्र है. खंड पीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने के संबंध में शहर के एनजीओ वनशक्ति की याचिका को भी खारिज कर दिया.
मामला सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के समक्ष लंबित- बॉम्बे हाई कोर्ट
अदालत ने कहा, “यह मामला सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है. इसलिए हम याचिका को एक जैसा मामला होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर.” साथ ही अदालत ने कार्यकर्ता जोरु बथेना की याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया गया था और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,656 पेड़ काटने की बीएमसी की मंजूरी को भी चुनौती दी गई थी.
शिवसेना पार्षद पर लगा 50 हजार का जुर्माना
पीठ ने शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जिन्होंने बीएमसी के वन प्राधिकरण की मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर की थी. जाधव वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं.
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