मुंबई: महाराष्ट्र में आज उद्धव ठाकरे की सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के मिलाकर महाविकास गठबंधन के कुल 36 मंत्रियों ने आज महाराष्ट्र के विधान भवन में शपथ ली. मंत्रिमंडल का यह विस्तार बीते 28 नवंबर को शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे के बतौर मुख्यमंत्री बनने के महीने भर बाद किया गया है. मंत्रिमंडल विस्तार में देरी इस वजह से हो रही थी क्योंकि कांग्रेस अपने कोटे के मंत्रियों का नाम नहीं तय कर पा रही थी.
विधान भवन के प्रांगण में अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही उनके सियासी करियर को लेकर चल रहे तमाम कयास भी खत्म हो गए हैं. ये वही अजित पवार हैं जिन्होंने बीते 23 नवंबर की सुबह बिना पार्टी की अनुमति के देवेंद्र फडनवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी. 4 दिनों बाद एनसीपी विधायकों का साथ न मिलने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर शरद पवार ने उनके गुनाह को माफ कर दिया और पार्टी में उनका पुराना रुतबा बरकरार रखा.
आदित्य ठाकरे ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली
मंत्रियों की लिस्ट में ऐन वक्त पर नाम उभर आया आदित्य ठाकरे का जिसने सभी को चौंकाया. आदित्य ठाकरे ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और मध्य मुंबई के वर्ली इलाके से विधायक चुने गए हैं आदित्य ठाकरे युवा सेना के प्रमुख भी हैं. आदित्य ठाकरे तो मंत्री बनाये जाने से खुश नज़र आये लेकिन मंत्री बनने के सपने देख रहे सुनील राउत नाराज़ हो गए. सुनील राउत शिवसेना सांसद संजय राउत के भाई हैं. मंत्री न बनाये जाने पर उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने की धमकी दे डाली.
आज के शपथ समारोह में शिवसेना के 13, एनसीपी के 13 और कांग्रेस के 10 मंत्रियों ने शपथ ली. शपथ लेने वाले प्रमुख चेहरों में कांग्रेस से अशोक चव्हाण, विजय वटेड्डीवार, वर्षा गायकवाड़, अब्दुल सत्तार जैसे चेहरे थे. वहीं एनसीपी से शपथ लेने वालों में धनंजय मुंडे, दिलीप वलसे पाटिल और जीतेन्द्र आव्हाड थे. शिवसेना ने कई पुराने चेहरों का पत्ता काट दिया और नए नामों को मंत्री बनाया.
शपथ दिलाते वक्त राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी हुए नाराज
शपथ दिलाते वक्त उस वक्त राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भड़क गए जब कांग्रेस विधायक के सी पाडवी ने शपथ के फॉर्मेट से हटकर कुछ लाइनें जोड़ दीं. इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें फिर से मंच पर बुलाया और वापस शपथ दिलवाई. महीने भर पहले 28 नवंबर को जब शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क में शपथ ली थी तो उनके साथ और 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली थी. उनमें एनसीपी से छगन भुजबल और जयंत पाटील, कांग्रेस से बालासाहेब थोराट और नितिन रावत और शिवसेना से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई थे.
पहले माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले होगा लेकिन वो हो नहीं सका. उसके बाद 23 दिसंबर को शपथ विधि की तारीख मुकर्रर की गई लेकिन तब भी मंत्रिमंडल का विस्तार टल गया. दरअसल, मंत्रिमंडल विस्तार के लिए तारीख पर तारीख कांग्रेस की वजह से पड़ रही थी. कांग्रेस के कोटे से कौन मंत्री होगा इसको लेकर पार्टी में भारी विवाद चल रहा था और नाम तय नहीं हो पा रहे थे. आखिर में कांग्रेस आलाकमान ने नामों की लिस्ट फाइनल करके उद्धव ठाकरे को सौंपी.
किस पार्टी को कितने मंत्री पद मिलेंगे इसका फार्मूला सरकार बनने से पहले ही तय हो गया था. ये तय किया गया था कि जिसके जितने ज्यादा विधायक उसको उतने ज्यादा मंत्री पद मिलेंगे. इस लिहाज से सबसे ज्यादा मंत्री 56 विधायकों वाली शिवसेना के हैं और सबसे कम 44 विधायकों वाली कांग्रेस के. मंत्रिमंडल का विस्तार क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों के आधार पर किया गया है. ये कोशिश की गई है कि महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिले जैसे विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण और मुंबई. इसी तरह से जातीय आधार पर मराठा, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक कोटे तय किए गए हैं.