Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी की सरकार का 5 अगस्त को होने वाला कैबिनेट विस्तार टल गया है. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार लटकने से अब मंत्री और राज्य मंत्रियों के अधिकार सचिवों को सौंपे गए हैं. महाराष्ट्र में मंत्री ना होने की वजह से कई विभागों के कामों पर असर पड़ रहा है, जिसकी वजह से कई विकास के काम अटके पड़े हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर महाराष्ट्र सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार क्यों रुका? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने मशहूर वकील दिलीप तौर से बातचीत की.


एक्सपेंशन करना है तो कर सकते हैं
महाराष्ट्र सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने पर वरिष्ठ वकील दिलीप तौर से पूछा गया कि, क्या सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की वजह से शिंदे सरकार का विस्तार रुका है क्या? इसपर दिलीप तौर ने कहा कि "ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कोर्ट इस मामले में स्टे नहीं लगा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि यह चुनी हुई सरकार है. कैबिनेट एक्सपेंशन करना है तो कर सकते हैं."


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शिंदे सरकार को किस बात का डर है?
कोर्ट इस मामले में क्या आदेश दे सकता है? जिसका शिंदे सरकार को डर है? क्या इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखना चाहिए? इसपर वकील दिलीप तौर ने कहा कि "इसमें 9 से 10 विवाद हैं, जिसमें से 2 से 3 मामले हमारे इतिहास में पहली बार हो रहे हैं. इसे लेकर बेंच भी निर्णय लेगा. संविधान खंडपीठ इसपर क्या विचार करती है यह 8 तारीख को देखना होगा. चुनी हुई सरकार की दिन प्रतिदिन की गतिविधि को कोर्ट रोक नहीं लगा सकती है. जो चुनी हुई सरकार होती है उनके निर्णय कोर्ट रोकता नहीं है.


इस आधार पर होगा निर्णय
वहीं शिवसेना किसकी है, क्या इसका फैसला कोर्ट करेगा या चुनाव आयोग? इसपर उन्होंने कहा, "अभी इलेक्शन कमिशन को पूरा निर्णय सिंबल को लेकर लेना है. अपील इसके खिलाफ कोर्ट में आ सकती है, लेकिन निर्णय इलेक्शन कमिशन का ही होगा. इलेक्शन कमिशन को ही चुनाव चिन्ह को लेकर निर्णय लेने का अधिकार है. ओरिजनल पार्टी में कितने लोग हैं और कितने अलग हुए, 1/3 विधायक किसी पार्टी में भी नहीं जाते, अलग होकर भी अलग नहीं होते. ऐसे में कोर्ट का निर्णय क्या होगा नहीं कह सकते. लेकिन इलेक्शन कमिशन को ही ऐसे में निर्णय लेने की शक्ति है. ओरिजनल पार्टी में ज्यादा नंबर है या नए गुट में उसके आधार पर निर्णय हो सकता है."


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