Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के विभागों के बंटवारे में शुक्रवार (14 जुलाई) को उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को वित्त विभाग मिला है. अजित पवार के साथ तीसरी बार ऐसा मौका है जब उन्हें राज्य के वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. इसमें से दो बार राज्य का उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी मिली. इसे देखकर ऐसे कयास लगने लगे हैं कि सरकार कोई भी हो लेकिन अजित पवार का मंत्रालय फिक्स है और एकबार फिर उनका सिक्का चला है.
कब-कब महाराष्ट्र के वित्त मंत्री रहे अजित पवार?
आंकड़ों के मुताबिक, 2010 से 2014 तक और फिर 2019 से 2022 तक अजित पवार महाराष्ट्र के वित्त मंत्री बने और अब 14 जुलाई को तीसरी बार उन्हें यह विभाग मिला है.
अजित पवार ने महाराष्ट्र सरकार में कब कौन से पद की संभाली जिम्मेदारी?
- 1991 में अजित पवार बारामती से लोकसभा सांसद चुने गए थे लेकिन एक महीने बाद अपने चाचा शरद पवार के लिए सीट छोड़ दी थी.
- 1991 में ही अजित पवार पहली बार बारामती विधानसभा सीट से विधायक चुने गए और तब से लगातार एमएलए हैं.
- जून 1991 से नवंबर 1992 तक वह सुधाकरराव नाइक की सरकार में कृषि और बिजली राज्य मंत्री बने थे.
- नवंबर 1992 से फरवरी 1993 तक वह शरद पवार के मुख्यमंत्री रहते हुए मृदा संरक्षण, बिजली और योजना राज्य मंत्री रहे थे.
- अक्टूबर 1999 से दिसंबर 2003 तक विलासराव देशमुख की सरकार में अजित पवार सिंचाई मंत्री थे.
- दिसंबर 2003 से अक्टूबर 2004 तक सुशील कुमार शिंदे की सरकार में उन्हें ग्रामीण विकास विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.
- 2004 में जब कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता में लौटा तो अजित पवार ने देशमुख सरकार में और बाद में अशोक चव्हाण सरकार में जल संसाधन मंत्रालय बरकरार रखा.
- 2004-2008 तक विलासराव देशमुख सरकार में अजित पवार जल संवर्धन मंत्री रहे और फिर 2008 से 2009 तक अशोक चव्हाण सरकार में वह जल संवर्धन और जल आपूर्ति और मंत्री रहे.
- 2009 से 2010 तक अशोक चव्हाण सरकार में अजित पवार जल संवर्धन, ऊर्जा मंत्री रहे और कृष्णा वैली इरीगेशन कारपोरेशन की जिम्मेदारी भी संभाली.
- 2010 से 2014 तक पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार में अजित पवार वित्त, नियोजन और ऊर्जा मंत्री रहे.
- 23 नवंबर 2019 को अजित पवार पवार ने अपनी पार्टी की सहमति के बिना बीजेपी के साथ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. देवेंद्र फडणवीस सीएम बने थे. अजित पवार 80 घंटे से भी कम समय तक इस पद पर रहे. इस दौरान उनके पास किसी विभाग की जिम्मेदारी नहीं रही.
- 2019 से 2022 तक उद्धव ठाकरे सरकार में अजित पवार उपमुख्यमंत्री के साथ वित्त, नियोजन और एक्साइज (अतिरिक्त प्रभार) मंत्री रहे.
- 2022 में शिवसेना के विभाजन के कारण महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई. बागी शिवसेना समूह और बीजेपी की ओर से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने जाने के बाद अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.
- 2 जुलाई 2023 को अजित पवार एनसीपी के आठ अन्य विधायकों को लेकर शिंदे सरकार में शामिल हो गए और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 14 जुलाई को एक बार फिर वह राज्य के वित्त मंत्री बने.
अजित पवार गुट के बाकी नेताओं को कौन से विभाग मिले?
अजित पवार ने 2 जुलाई को शिंदे सरकार को समर्थन देते हुए उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उनके साथ गए आठ अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी. शुक्रवार (14 जुलाई) को जारी राज्य सरकार के बयान के मुताबिक, उन आठ नेताओं को भी विभाग सौंपे गए हैं.
बयान के मुताबिक, धनंजय मुंडे को कृषि विभाग, दिलीप वाल्से-पाटिल को सहकारिता विभाग, हसन मुशरिफ को चिकित्सा शिक्षा, छगन भुजबल को खाद्य और नागरिक आपूर्ति, धर्मराव अत्राम को खाद्य और औषधि प्रशासन, संजय बनसोडे को खेल, अदिति तटकरे को महिला और बाल विकास और अनिल पाटिल को राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.
शिंदे को हटाकर अजित को बनाया जाएगा मुख्यमंत्री- संजय राउत
महाराष्ट्र सरकार के विभागों के बंटवारे में एकनाथ शिंदे गुट से तीन और बीजेपी से 6 विभाग अजित पवार गुट के खाते में चले गए हैं. इस घटनाक्रम पर शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं की ओर से सीएम शिंदे को लेकर बयाबाजी भी हुई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को दावा किया कि एकनाथ शिंदे से सीएम पद छिन जाएगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में एकनाथ शिंदे को हटाकर अजित पवार को सीएम बनाया जा सकता है.
वहीं, शिवसेना के नेता दीपक केसरकर ने मुंबई में कहा कि अजित पवार भले ही फिर से महाराष्ट्र के वित्त मंत्री बन गए हों लेकिन एकनाथ शिंदे सीएम हैं और आखिरी फैसला उनका होगा.
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