नागपुर: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जारी खींचतान के बीच देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. माना जा रहा है कि मुलाकात राज्य में सरकार बनाने को लेकर हुई है. फिलहाल बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत रुकी हुई है. जिसकी वजह से सरकार बनाने का फॉर्मूला अंतिम रूप नहीं ले पा रहा है. माना जा रहा है फडणवीस ने भागवत से मध्यस्थता करने की गुजारिश की है.


शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी हुई है, हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि शिवसेना ज्यादा से ज्यादा मलाईदार मंत्रालयों को हासिल करने के लिए दबाव की राजनीति के तहत मुख्यमंत्री पद मांग रही है. इसी गतिरोध को दूर करने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि शिवसेना नेता की ओर से संघ प्रमुख को लिखे खत में नितिन गडकरी का नाम मध्यस्थता करने के लिए सुझाया था, लेकिन नितिन गडकरी ने इस पूरे मामले से अपने आप को दूर रखा है.


9 नवंबर तक महाराष्ट्र में सरकार बन जानी चाहिए अन्यथा उसके बाद विधानसभा को निलंबित स्थिति में रखना पड़ेगा और राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा. आखिरी 3 दिनों में दबाव की राजनीति और भी तेज हो सकती है. ऐसी सूरत में जो भी दल पहले झुकेगा उसको राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.


महाराष्ट्र में चल रही रस्साकशी और दबाव की इस राजनीति में एनसीपी ने यह कहकर कि वह शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार है लेकिन उससे पहले शिवसेना बीजेपी के साथ अपने सभी संबंध खत्म करने की घोषणा करे, बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है.


एक दिन पहले देवेंद्र फडणवीस दिल्ली आए थे और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, महाराष्ट्र प्रभारी भूपेंद्र यादव और नितिन गडकरी से उन्होंने मुलाकात की थी. तब सूत्रों ने भरोसा जताया था कि आखिर में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा.


बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, 50-50 का जो फॉर्मूला बीजेपी और शिवसेना के बीच तय हुआ था उससे मुख्यमंत्री का पद बाहर था. सिर्फ सत्ता के बंटवारे पर ही 50-50 का फॉर्मूला लागू होना है. इसके वाबजूद शिवसेना लगातार अपनी मांग पर अड़ी हुई है. अगले 3 दिनों में राजनीति और भी ज्यादा रोमांचक हो सकती है.


फडणवीस ने बीजेपी नेताओं के साथ की बैठक


आज दिन में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी. इस बैठक में शामिल होने के बाद महाराष्ट्र के वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुनंगंटीवार ने कहा, ‘‘किसी भी समय सरकार गठन को लेकर एक अच्छी खबर आ सकती है.’’


संघ प्रमुख को शिवसेना नेता का पत्र
राज्य में सरकार गठन पर जारी गतिरोध को लेकर शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए.


भागवत को लिखे पत्र में तिवारी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख को इस स्थिति का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और महाराष्ट्र में सरकार गठन में गतिरोध दूर करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोग इस मुद्दे पर संघ की ‘चुप्पी’ से चिंतित हैं.


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तिवारी ने भागवत को उनके द्वारा लिखे गये पत्र के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ गडकरी दो घंटे के अंदर इस स्थिति का समाधान करने में कामयाब होंगे.’’ उन्होंने दावा किया कि बीजेपी गडकरी को ‘हाशिये’ पर डाल रही है.


'शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा'
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर बीजेपी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिये साझा करने के बारे में सोच रही है तो यह समझदारी वाली बात है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना से ही होगा.


एनसीपी का बयान
इस बीच शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने कहा कि अगर शिवसेना यह घोषणा कर दे कि उसने बीजेपी के साथ अपना संबंध तोड़ दिया है तो महाराष्ट्र में एक राजनीतिक विकल्प बनाया जा सकता है. एनसीपी सूत्रों ने बताया कि पार्टी चाहती है कि केंद्र सरकार में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत भी इस्तीफा दे दें.


एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने यहां कहा, ‘‘इससे बढ़िया कुछ नहीं हो सकता अगर बीजेपी शिवसेना को मुख्यमंत्री पद दे देती है लेकिन अगर बीजेपी इनकार कर रही है तो एक विकल्प दिया जा सकता है. लेकिन शिवसेना को यह एलान करना होगा कि उसका बीजेपी और राजग से अब कोई नाता नहीं है. इसके बाद विकल्प मुहैया कराया जा सकता है.’’


क्या है राजनीतिक स्थिति?
बता दें कि 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों की घोषणा 24 अक्टूबर को की गई थी और तब से सरकार गठन को लेकर अभी तक संशय की स्थिति बनी हुई है. सूबे में 9 नवंबर तक सरकार गठन जरूरी है. बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को लेकर खींचतान चल रही है.


राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली हैं. बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है.


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