Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को लगातार झटके दे रहे हैं. हालिया मामला सीएम शिंदे के चुनाव आयोग (Election Commission-EC) को शिंदे गुट को असली शिवसेना (Real Shiv Sena) की मान्यता देने की मांग का है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है. सूत्रों के मुताबिक मंगलवार 19 जुलाई देर शाम शिंदे गुट के सांसदों की तरफ से चुनाव आयोग को एक पत्र मिला है. इसमें शिंदे गुट को असली शिवसेना की मान्यता देने की मांग की गई है. हालांकि इस पर फैसला करने के लिए ईसी (EC) राजनीतिक दल की मान्यता से जुड़ी प्रक्रिया के तहत दोनों दलों को समान अवसर देगा. 


शिंदे गुट ने कहा - दो तिहाई सांसदों का है समर्थन


गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे ग्रुप ने अपने साथ दो तिहाई से अधिक विधायक (MLA) और शिवसेना के 19 में से 12 सांसद (MP) के समर्थन के आधार पर शिवसेना पर ये दावा ठोका है. इसी को आधार बनाकर शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने पुष्टि की है कि शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट से मंगलवार शाम करीब 6 बजे एक पत्र मिला था. ये पत्र पार्टी के 19 सांसदों में से 12 के लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha speaker) को पत्र लिखने के कुछ ही घंटे बाद लिखा गया है. गौरतलब है कि 12 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को यह पत्र उनके सहयोगी राहुल शेवाले (Rahul Shewale) को उनके नेता और भावना गवली (Bhawana Gawli ) को मुख्य सचेतक (Chief Whip) की मान्यता देने को लेकर लिखा था.


बीएमसी चुनाव में धुनष-तीर किसका?


शिंदे के इस कदम से शिवसेना के उद्धव धड़े के "धनुष और तीर-Bow And Arrow" के चिन्ह के बगैर निर्णायक बीएमसी (BMC) चुनाव लड़ने की संभावना बढ़ती जा रही है. गौरतलब है कि ये प्रतीक शिवसेना का पर्याय बन गया है. एक सूत्र के मुताबिक चुनाव आयोग को लिखे पत्र में शिंदे गुट ने शिवसेना के 12 सांसदों के समर्थन का जिक्र तो किया है, लेकिन अधिक विवरण उपलब्ध नहीं दिया है. अटकलें हैं कि शिंदे गुट अपने आरक्षित पार्टी चिह्न 'धनुष और तीर' का इस्तेमाल करने के अधिकार के साथ 'असली' शिवसेना के रूप में पहचाने जाने की मांग कर रहा है. उद्धव धड़े ने पहले ही चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि पार्टी के नाम (Party's Name) और प्रतीक (Symbol) के दावे के मामले में उनके विचारों को सुना जाए.


चुनाव आयोग का क्या होगा कदम?


इस तरह के मामले में पहले लिए गए फैसलों को चुनाव आयोग मिसालों के तौर पर ले सकता है. आयोग संविधान (Constitution ) के अनुच्छेद 324 ( Article 324) द्वारा निहित शक्तियों के आधार पर प्रतीकों पर सभी विवादों को सुनता है. इसमें  संगठनात्मक (Organisational) और विधायी विंग (Legislative Wings) में बहुमत के समर्थन के आधार पर फैसला लिया जाता है. इस तरह के विवादों में सुप्रीम कोर्ट (SC) के सादिक अली (Sadiq Ali) बनाम चुनाव आयोग ( ECI ) केस में दिए फैसले को नजीर की तरह लिया जाता है. इसके तहत ही यह फैसला लिया जाता है कि कौन वास्तविक पार्टी है और कौन पार्टी प्रतीक चिन्ह का असली हकदार है. चुनाव आयोग पार्टी संगठन और विधायी और संसद विंग में समर्थन के संबंध में गुटों के लिखित और मौखिक प्रस्तुतियों के आधार पर बहुमत के समर्थन का मूल्यांकन करता है.


बीएमसी चुनावों (BMC Polls) की नजर से देखा जाए तो चुनाव आयोग के पास दो विकल्प हैं. उनमे से पहला विकल्प है कि या तो चुनाव से पहले विवाद का फैसला किया जाए या शिवसेना के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया जाए और विवादित गुटों को निकाय चुनाव (Civic Polls) लड़ने के लिए एक नया पार्टी नाम और प्रतीक चुनने के लिए कहा जाए.


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