एकनाथ शिंदे बीमार, दिल्ली में अजित पवार! क्या महाराष्ट्र में होने लगी राष्ट्रपति शासन की तैयारी?
Maharashtra News: संविधान का आर्टिकल 172 कहता है कि अगर किसी वजह से विधानसभा पहले भंग न हो तो विधानसभा की पहली बैठक से अगले पांच साल तक विधानसभा का कार्यकाल होगा.
Maharashtra News: क्या महाराष्ट्र में बीजेपी अपना सीएम नहीं बना पाएगी. क्या अब महाराष्ट्र में महायुति का मुख्यमंत्री नहीं ही होगा और क्या अब महाराष्ट्र को संवैधानिक संकट से बचाने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना ही इकलौता उपाय रह गया है. ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब तलाश करना अब जरूरी होता जा रहा है क्योंकि बंपर जीत के 10 दिन बाद भी न तो बीजेपी खुद का सीएम बना पा रही है और न ही वो एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने दे रही है तो क्या राष्ट्रपति शासन ही अब इकलौता उपाय है. ये सवाल तो अब आदित्य ठाकरे भी पूछने लगे हैं. उन्होंने एक्स पर पोस्ट लिखकर सवाल किया है कि क्या सारे कायदे-कानून सिर्फ विपक्ष के लिए ही हैं. रही-सही कसर शिवसेना नेता संजय राउत ने पूरी कर दी है.
अब ये सवाल उठे हैं तो इनका जवाब जानना भी लाजिमी है और संविधान का आर्टिकल 172 कहता है कि अगर किसी वजह से विधानसभा पहले भंग न हो तो विधानसभा की पहली बैठक से अगले पांच साल तक विधानसभा का कार्यकाल होगा. इसी आर्टिकल में ये भी लिखा है कि आपातकाल की स्थिति में विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है लेकिन उसकी भी अवधि एक साल होगी और उसे फिर अगले 6 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.
जीत के 10 दिन बाद भी नहीं हो पा रहा डिसाइड
अब संविधान के आर्टिकल 172 के हिसाब से देखें तो 26 नवंबर को ही महाराष्ट्र की विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो चुका है. ऐसे में 26 नवंबर तक महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिल जाना चाहिए था, लेकिन 26 नवंबर को भी बीते एक हफ्ते हो गए हैं और अब भी न तो मुख्यमंत्री का नाम पता है और न ही ये पता है कि मुख्यमंत्री किस पार्टी से होगा. बस इतना पता है कि 5 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ होगी.
बीमार पड़ गए हैं एकनाथ शिंदे
शपथ तब होनी थी, जब महायुति में सब ठीक होता. अब तो एकनाथ शिंदे फिर से बीमार पड़ गए हैं और इस बार मामला थोड़ा गंभीर है, जिसकी वजह से उन्हें थाणे के अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा है. ऐसे में पांच तारीख को नए मुख्यमंत्री की शपथ भी अब मुश्किल में नजर आ रही है, लेकिन सवाल है कि क्या अब वक्त आ गया है कि महाराष्ट्र में जब तक मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं होता, राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए. अब संविधान की मानें तो राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए, लेकिन इसमें एक पेंच है और वो पेंच संवैधानिक न होकर व्यावहारिक है.
दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं अजित पवार
इन सब के बीच शपथ ग्रहण से पहले अजित पवार दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. माना जा रहा है कि अमित शाह के साथ बैठक में अजित पवार NCP के लिए 11 मंत्री पद मांग सकते हैं. एनसीपी अपने लिए महाराष्ट्र में 7 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री पद की मांग कर रही है. इसके साथ ही एनसीपी दिल्ली में एक कैबिनेट और 1 राज्यपाल पद की भी मांग कर सकती है.
क्या लग जाएगा राष्ट्रपति शासन?
संविधान कहता है कि कार्यकाल खत्म और सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन. व्यावहारिकता ये कहती है कि भले ही कार्यकाल खत्म हो गया है, लेकिन महाराष्ट्र में स्थिति ऐसी नहीं है कि सरकार का गठन ही नहीं हो सकता क्योंकि महायुति के पास बहुमत है और उसने राज्यपाल से सरकार बनाने से इनकार नहीं किया है तो राज्यपाल को भी पता है कि बहुमत है और सरकार का गठन हो जाएगा. ऐसे में राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन की जरूरत महसूस नहीं हो रही है.
किसका हवाला देकर राष्ट्रपति शासन लगाने से बचा जा रहा है?
हालांकि, एक और कानून है, जिसका हवाला देकर राष्ट्रपति शासन लगाने से बचा जा रहा है और ये कानून है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1971. इसकी धारा 73 कहती है कि अगर चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा के चुने गए सदस्यों के नाम शासकीय राजपत्र में अधिसूचित कर दिए जाते हैं तो मान लिया जाता है कि विधानसभा विधिवत गठित हो गई है. अब चुनाव आयोग ने नतीजों का शासकीय राजपत्र में प्रकाशन कर दिया है तो जाहिर है कि नई यानी कि 15वीं विधानसभा का गठन हो चुका है और अब नई विधानसभा अस्तित्व में है तो राष्ट्रपति शासन की कोई जरूरत नहीं है.
2019 में उद्धव ठाकरे ने तोड़ा था गठबंधन
कुल मिलाकर 100 बात की एक बात है कि जब तक प्रदेश में राज्यपाल को ये न लगे कि संवैधानिक संकट है तब तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन नहीं लग सकता है और साल 2019 का विधानसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. 2019 में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन चुनाव जीता था. 24 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे भी आ गए थे, लेकिन सरकार का गठन नहीं हो पाया क्योंकि चुनाव बाद उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ दिया. ऐसे में जब 12 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो गया तो राज्यपाल की सिफारिश पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया, लेकिन 23 नवंबर को बीजेपी और अजित पवार के बीच बात गई तो 23 नवंबर को राष्ट्रपति शासन हटाकर देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिला दी गई.
क्या करना होगा इंतजार?
हालांकि, पांच दिन बाद ही 28 नवंबर को बहुमत साबित न कर पाने की स्थिति में फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा और फिर 28 नवंबर को महाविकास अघाड़ी के गठबंधन तले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. तो अब इंतजार राज्यपाल के फैसले का है कि क्या वो 5 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री की शपथ करवाएंगे या फिर ये इंतजार और लंबा होगा और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन होगा.
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