मुंबई: मुंबई के आरे में मेट्रो रेल के लिए कार शेड का निर्माण उद्धव ठाकरे के लिए गले की हड्डी बन गया है. हाल ही में एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट सौंपी कि कार शेड को आरे में ही बनाया जाना चाहिए. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले इस कार शेड को लेकर काफी बवाल मच चुका है. देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने शेड बनाने के लिए करीब दो हजार से ऊपर पेड़ काट डाले थे. इसका विरोध ना केवल पर्यावरण प्रेमियों ने किया था बल्कि शिवसेना भी उनके समर्थन में आई. दोनों ही पार्टियों के बीच कलह का एक मुद्दा आरे का मेट्रो कार शेड भी था.


28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले के बाद जो शुरुआती आदेश दिए उनमें से एक था आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण का काम पर रोक लगाना. काम पर रोक लगाने के साथ-साथ 4 लोगों का पैनल तैयार किया गया जिसे इस बात की रिपोर्ट देनी थी कि क्या इस शेड को आरे के अलावा किसी दूसरे ठिकाने पर स्थानांतरित किया जा सकता है.


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करीब महीने भर के बाद अब इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. पैनल की ओर से कहा गया है की कार शेड को अब आरे से हटाना मुनासिब नहीं होगा. पेड़ों के काटे जाने की वजह से जो नुकसान होना था वो हो चुका है. ऐसे में अगर कार शेड को दूसरे किसी ठिकाने पर स्थानांतरित किया जाता है तो प्रोजेक्ट की कीमत में भारी बढ़ोतरी होगी.


बीजेपी ने पैनल की रिपोर्ट के आधार पर ठाकरे सरकार को आड़े हाथों लिया है. बीजेपी के नेता किरीट सोमैया का कहना है की मेट्रो कार शेड के निर्माण का कार्य रोके जाने से 600 करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है. आरे में ही कार शेड का काम फिर से तुरंत शुरू किया जाना चाहिए. चुनाव से पहले जब कार शेड बनाने के लिए पेड़ों की कटाई का काम हो रहा था तो बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रेमी वहां पहुंच गए थे और उन्होंने काम रुकवाने की कोशिश की. कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनकी फरियाद पर सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी लेकिन जब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल हो पाता तब तक करीब 22 सौ पेड़ काटे जा चुके थे.


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उन पेड़ों के काटे जाने से जो जगह खाली हुई वहां पर मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कार शेड बनाने का काम शुरू कर दिया क्योंकि आदेश सिर्फ पेड़ काटे जाने को लेकर था कार शेड के निर्माण रोके जाने को लेकर नहीं. जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने इस काम को रुकवा दिया और साथ ही आरे में आंदोलन करने वाले करीब दो दर्जन पर्यावरण प्रेमियों के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामलों को वापस ले लिया था.


अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि पैनल की रिपोर्ट आने के बाद ठाकरे सरकार का क्या रूख होता है. पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार को पैनल की सिफारिश नहीं माननी चाहिये और हर हाल में डिपो को किसी और ठिकाने पर ले जाना चाहिये. राज्य के पर्यावरण और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी कहा कि सरकार इस पैनल की रिपोर्ट मानने के लिये बाध्य नहीं है.